अनोखा तीर, हरदा। गुप्तेश्वर मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन पंडित नंदलाल पांडे ने गुरुदेव विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा के बाद महाराज जनक के आमंत्रण पर माता सीता के विवाह अवसर पर राम-लक्ष्मण के जनकपुर आगमन का भावपूर्ण प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने बताया कि जनकपुर पहुंचने पर महाराज जनक ने भगवान श्री राम, लक्ष्मण और समस्त ऋषि मंडली का आदर-सत्कार कर सुंदर अमराई में उनकी सेवा की तथा उन्हें ऐसे मनोहर सदन में विश्राम दिया, जो हर ऋतु में सुख प्रदान करता है। आगे की कथा में वर्णन आया कि जब लखन के हृदय में विशेष लालसा उत्पन्न हुई, तो श्री राम ने मन की भावना जानकर स्वयं उन्हें नगर दर्शन कराने के लिए साथ चल दिए। भगवान के आगमन से पूरा जनकपुर आनंद से भर उठा। लोग अपने घर-आंगन का काम छोड़कर राम-लक्ष्मण के दर्शनों को उमड़ पड़े। छोटे-छोटे बच्चे भी दोनों भाइयों को नगर के सुंदर स्थलों का परिचय कराने लगे। श्री राम कथा से जुड़े अनिल वैद्य ने बताया कि आज का प्रसंग इतना मनोरम और भावपूर्ण था कि उपस्थित श्रद्धालु स्वयं को जनकपुर की गलियों में घूमता हुआ अनुभव कर रहे थे। सभी को लगा मानो वे प्रत्यक्ष रूप से प्रभु श्री राम के साथ जनकपुरवासियों के प्रेम का स्पर्श पा रहे हों। प्रतिदिन रामचरित मानस की पूजा के उपरांत कथा दोपहर 2 से 5 बजे तक आयोजित की जाती है। इस पावन कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचकर आध्यात्मिक आनंद प्राप्त कर रहे हैं।
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