विधायक-डीएफओ विवाद

-डीएफओ की शिकायत के बाद जांच करने के लिए बालाघाट पहुंचे अधिकारी
-बंद कमरे में चर्चा, सर्किट हाउस में विधायक से तो एफआरएच में डीएफओ के दर्ज किए बयान
-दो कर्मचारियों से भी अधिकारियों ने की पूछताछ
-डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त को पीसीसीएफ  भोपाल को लिखा था पत्र
गणेश पांडे, भोपाल। विधायक-डीएफओ विवाद मामले की जांच करने के लिए शुक्रवार को दो अधिकारियों का दल बालाघाट पहुंचा। दोनों ही अधिकारियों ने बंद कमरे में पृथक-पृथक रुप से चार लोगों से चर्चा की। सर्किट हाउस में विधायक अनुभा मुंजारे के बयान लिए गए। जबकि फारेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) में डीएफओ अधर गुप्ता, डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के अलावा उनके वाहन चालक मुरारीलाल कोरी और रेस्ट हाउस के स्थायीकर्मी चुन्नी लाल ऐड़े से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। जांच अधिकारी प्रतिवेदन तैयार कर शासन को सौंपेंगे। जानकारी के अनुसार वनमंडलाधिकारी उत्तर सामान्य वनमंडल नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त को बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे के खिलाफ पीसीसीएफ भोपाल को शिकायत की थी। शिकायत पत्र में उल्लेख किया था कि 16 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश होने के बाद भी उन्हें फारेस्ट रेस्ट हाउस में मिलने बुलाया गया।  एफआरएच पहुंचने पर विधायक मुंजारे ने अपने निजी कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और एक अन्य महिला की उपस्थिति में 2-3 पेटी अवैध पैसों की मांग की। पैसों देने में असमर्थता जाहिर करने पर विधायक ने शत्रुतापूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त की। इतना ही नहीं विधायक ने न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार के लिए भी असंयमित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।
विधायक ने दी भोपाल में अनशन की धमकी
कांग्रेस एमएलए अनुभा मुंजारे ने सभी मंडलाधिकारियों को भी जिले में तैनात नहीं रहने देने की बात कही। प्रशासन से अपनी मांगों को मनवाने व दबाव बनाने के लिए भोपाल मुख्यालय पर भूख हड़ताल करने व धरने पर बैठने की धमकी भी दी है। डीएफओ की शिकायत के बाद वन विभाग ने 3 सितंबर को दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जिसमें वर्ष 1997 बैच की आईएफएस अधिकारी व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक कमलिका मोहन्ता और वर्ष 2010 बैच की आईएफएस अधिकारी व वन संरक्षक वासु कनोजिया शामिल है। दोनों ही अधिकारियों को दो सप्ताह में जांच पूर्ण कर प्रतिवेदन राज्य शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
दोपहर में पहुंचे दोनों ही अधिकारी
शासन से मिले निर्देश पर अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक कमलिका मोहन्ता और वन संरक्षक वासु कनोजिया शुक्रवार की दोपहर बालाघाट मुख्यालय पहुंच गए थे। दोनों ही अधिकारी पहले सीसीएफ बालाघाट कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सीएफ गौरव चौधरी से मुलाकात कर इस प्रकरण में चर्चा की। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने फारेस्ट रेस्ट हाउस में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के वाहन चालक मुरारीलाल कोरी और रेस्ट हाउस के स्थायीकर्मी चुन्नीलाल ऐड़े से बंद कमरे में पूछताछ की। वहीं बाद में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और डीएफओ अधर गुप्ता से इस प्रकरण में चर्चा कर उनके बयान लिए गए। शाम करीबन 4 बजे विधायक अनुभा मुंजारे से सर्किट हाउस में चर्चा कर उनके बयान को लिपीबद्ध किया। अधिकारियों ने बंद कमरे में सभी से पृथक-पृथक चर्चा की है। जांच के बिंदुओं को गोपनीय रखा गया है।
शिकायत के बाद दोनों डीएफओ के खिलाफ तबादले की कार्यवाही टली
डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के द्वारा विधायक मुंजारे के खिलाफ की गई शिकायत के बाद से ही विभाग ने दोनों डीएफओ के तबादले की कार्यवाही टाल दी है। दरअसल, डीएफओ अधर गुप्ता पर बाघ की रहस्यमय मौत और डीएफओ नेहा श्रीवास्तव पर कलकत्ता हाईकोर्ट मामले में कार्यवाही होना तय माना जा रहा है। विभाग ने दोनों ही डीएफओ के तबादले की स्क्रीप्ट तैयार कर ली है, लेकिन मौजूदा हालात के चलते उनका तबादला नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा है मौजूदा समय में दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिए जाने से कांग्रेस को बल मिल जाएगा और विभाग की शासन के सामने किरकिरी हो जाएगी। इस कारण फिलहाल दोनों ही अधिकारियों के तबादले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
वीसी में वन बल प्रमुख ने डीएफओ नेहा को लगाई फटकार
वन बल प्रमुख वीएन अंबाडे ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस कर विभाग के अधिकारियों से चर्चा की। वीसी में वन बल प्रमुख ने डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को जमकर फटकार लगाई। यह फटकार उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट के मामले मे लगाई गई है। दरअसल,  डीएफओ नेहा श्रीवास्तव द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के मामले में लापरवाही बरती गई है। जिसके कारण विभाग को 65 लाख रुपए की राशि की जगह अब सवा करोड़ रुपए भुगतान करना है, कलकत्ता न्यायालय ने इसके आदेश भी दिए है। इतना ही नहीं न्यायालय ने सीसीएफ और डीएफओ कार्यालय को कुर्क करने के भी आदेश दिए है। जिसके चलते फिलहाल दोनों ही कार्यालय सील बंद है। उल्लेखनीय है कि  वर्ष 2005 में बालाघाट में पश्चिम उत्पादन वनमंडल कार्यालय संचालित होता था, जिसे वर्ष 2013 में बंद कर दक्षिण उत्पादन वनमंडल में मर्ज कर दिया गया। इस दौरान कल्पतरु एग्रो फॉरेस्ट प्रा. लि. कोलकाता नामक फर्म ने विभाग से बड़ी मात्रा मेंं बांस की खरीदी की थी, जिसका फर्म ने भुगतान भी किया था। लेकिन कार्यालय के बंद होने से उन्होंने बांस का उठाव नहीं किया था। जिसके चलते फर्म ने विभाग में जमा राशि मांगी, लेकिन विभाग ने राशि नहीं लौटाई। मजबूरी में फर्म ने कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।  न्यायालय से विभाग को नोटिस भी जारी हुआ, लेकिन विभाग ने अपना पक्ष नहीं रख पाया। इस मामले में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को विभाग की ओर से ओआयसी (ऑफिसर इन चार्ज) बनाया गया था। जिन्हें न्यायालय में अपना पक्ष रखना था, लेकिन वह पेशी में नहीं पहुंची। जिस पर न्यायालय ने नाराजगी भी जाहिर की। न्यायालय ने वनविभाग बालाघाट को कल्पतरु एग्रो फॉरेस्ट  प्रा. लि. को मय ब्याज के 1.20 करोड रुपए अदा करने का फैसला सुनाया। एक पक्षीय फैसला आने पर विभाग ने नेहा श्रीवास्तव को हटाकर उत्तर सामान्य वनमंडल का डीएफओ बना दिया। इसी मामले में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव पर लापरवाही बरतने के कारण कार्यवाही की तलवार लटकी पड़ी हुई है।

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