दिनेश निगम ‘त्यागीÓ
कैलाश की बात भले कड़वी, पर होती हैं पते की…
-कहावत है, दवा जितनी कड़वी हो, इलाज में उतनी ही ज्यादा कारगर होती है। भाजपा के दिग्गज नेता प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी कुछ इसी तरह के हैं। वे बोलते हैं तो लगता है कि कड़वी बात कह गए। एक तबका उनकी आलोचना करने लगता है जबकि उनकी बात सच और पते की होती है। उनके दो बयान इन दिनों खास चर्चा में हैं। पहले बयान में उन्होंने कहा था कि कम और छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां, महिलाएं उन्हें पसंद नहीं। इस पर एक वर्ग उनकी आलोचना करने मैदान में उतर आया। कांग्रेस ने यहां तक आरोप जड़ दिया कि कैलाश महिलाओं के कपड़े देखते रहते हैं जबकि उनकी बात गलत नहीं थी। कम और छोटे कपड़े पहनने के कारण कई वारदातें हो जाती हैं। इसे यह कह खारिज नहीं किया जा सकता कि जिसकी जो मर्जी पहनेगा, कोई इस बारे में नसीहत नहीं दे सकता। आखिर पहनावा भी संस्कार से जुड़ा होता है। दूसरी बात उन्होंने पति राजा रघुवंशी की हत्या में शामिल सोनम को लेकर कही। कैलाश ने कहा कि लड़कियों के लिए सिर्फ शिक्षा ही जरूरी नहीं, इससे भी ज्यादा जरूरी हैं संस्कार वर्ना लड़कियां सोनम बन जाती हैं। इसलिए एक रोटी कम खाना पर बच्चियों को संस्कार जरूर अच्छे देना। शिक्षा दे दी और संस्कार नहीं दिए तो वह पशु बन जाते हैं, पाशविक जिंदगी जीते हैं। उनकी इस बात में भी दम है।
अंतत : मोहन ने ढूंढ़ लिए अपने चार नए मंत्री…!
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल में फेरबदल कभी भी हो सकता है। इसके लिए कवायद अंतिम चरण में है। विधानसभा की सदस्य संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में कुल 35 सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ यादव सहित 31 सदस्य हैं। इस लिहाज से 4 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। खबर है कि डॉ.यादव ने नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद ये 4 नए चेहरे ढूंढ लिए हैं। इनमें पहले नंबर पर हैं 9 बार से लगातार विधायक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव। दूसरे नंबर पर छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह का नाम है। शाह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के खास रहे हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से तोड़ कर लाया गया था। शाह पहले ऐसे विधायक थे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ने के साथ सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उप चुनाव जीत कर विधायक बने थे। इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन मिला था लेकिन अब तक इंतजार ही कर रहे हैं। तीसरे नंबर पर हैं भोपाल की हुजूर सीट से विधायक कट्टर हिंदू नेता की छवि वाले रामेश्वर शर्मा। इनका मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना तय माना जा रहा हैं। अंतिम नाम पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस का है। देवी अहिल्याबाई की जन्म शताब्दी के कारण नारी शक्ति के तौर पर चिटनीस को जगह मिल सकती है। बस मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार किया जा रहा है।
प्रशिक्षण वर्ग से सुधर सकेंगे भाजपा के ये नेता…!
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित भाजपा का हर प्रमुख नेता कह रहा है कि पचमढ़ी में आयोजित प्रशिक्षण वर्ग पार्टी की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है जबकि इसे पार्टी नेताओं द्वारा की गई विवादित बयानबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। इनके बयानों के कारण भाजपा नेतृत्व असहज रहा है। विवादित बयान देने वाले नेताओं को प्रदेश भाजपा मुख्यालय बुलाकर नसीहत दी जा चुकी है। कुछ ने माफी मांग ली थी जबकि एक विधायक प्रीतम लोधी ने कह दिया था कि उन पर ज्यादा दबाव बनाया गया तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का विवाद लंबे समय तक सार्वजनिक रहा, पार्टी नेतृत्व इसे नहीं सुलझा सका। सबसे विवादित बयान मंत्री विजय शाह और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का रहा। दोनों ने भारतीय सेना को लेकर आपत्तिजनक भाषा बोली। विजय शाह का मामला तो सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। छिंदवाड़ा के सांसद बंटी साहू पार्टी के मंडल अध्यक्षों से ऐसे पैर धुलवाते नजर आ गए जैसे वे कोई महामंडलेश्वर हों। यह आचरण पार्टी सिद्धांतों के विपरीत है। राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल पहले अपने बेटे और बाद में ग्वालियर में एक रेस्टोरेंट में हुए विवाद को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसीलिए यह वर्ग तभी सार्थक सिद्ध होगा जब भाजपा के ऐसे नेता सुधर जाएं।
प्रशिक्षण में गए केंद्रीय मंत्री ही तोड़ने लगे नियम…
भाजपा के सांसद, विधायक, मंत्री और पार्टी पदाधिकारी सुशासन का पाठ पढ़ने पचमढ़ी प्रशिक्षण वर्ग में हिस्सा लेने गए हैं। यहां सभी को आचरण और व्यवहार का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। यह भी सिखाया जा रहा है कि कम से कम सत्तारूढ़ दल के किसी नेता और मंत्री को नियम कायदे नहीं तोड़ना चाहिए। लेकिन इस मंशा के उलट यदि सरकार के मंत्री ही नियमों की धज्जियां उड़ाने लग जाएं तब क्या कहेंगे? वह भी पचमढ़ी में जहां सभी को भाजपा के अलग चाल, चरित्र और चेहरे को बनाए रखने की सीख दी जा रही है। प्रशिक्षण वर्ग का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करने वाले थे। उनके आने में कुछ समय था तो केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने एक कार्यकर्ता के साथ बाहर घूमने का प्लान बना लिया। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता से बाइक निकलवाई, पीछे बैठे और हसीन वादियों का आनंद लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन मंत्री जी और कार्यकर्ता यातायात नियमों का पालन करना भूल गए। बिना हेलमेट लगाए ही पचमढ़ी की सुहानी वादियों का मजा लेने निकल पड़े। जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। सवाल यह है कि क्या एक केंद्रीय मंत्री को प्रशिक्षण वर्ग के दौरान इस तरह यातायान नियमों को तोड़ना चाहिए। मंत्री ही ऐसा करेंगे तो आम लोगों तक क्या मैसेज पहुंचेगा। प्रशिक्षण वर्ग में ऐसे मसलों पर भी विचार होना चाहिए।
खुद लक्ष्मण रेखा लांघी, अब हो रहे आग बबूला…
दिग्विजय सिंह के अनुज वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह को जिस बयान के कारण कांग्रेस से 6 साल के लिए बाहर किया गया है। उसे पढ़ कर कोई भी कह सकता है कि उन्होंने खुद अनुशासन की लक्ष्मण रेखा लांघी और पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई के लिए मजबूर किया। पहलगांव की आतंकी घटना के बाद दिए बयान में उन्होंने राहुल गांधी, राबर्ट वाड्रा और उमर अब्दुल्ला को घेरा ही नहीं, यह भी कहा कि मुझे पार्टी से निकालना है तो आज ही निकाल दें। उमर अब्दुल्ला और राबर्ट वाड्रा को ही लपेटे में लेते तो शायद माफी मिल जाती। लेकिन राहुल को भी नहीं बख्शा, इसलिए कार्रवाई तो होना ही थी। बयान से साफ था कि लक्ष्मण खुद पार्टी से बाहर होना चाहते थे। अब जब कार्रवाई हो गई तब भी वे गांधी परिवार पर आगबबूला होकर हमलावर हैं। उनके खिलाफ कुछ भी बोल रहे हैं। इसीलिए उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही। वे कह रहे हैं कि मुझसे कहा गया था कि मैं कह दूं कि राहुल गांधी भविष्य में प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन नहीं कहा तो कार्रवाई हो गई। लक्ष्मण से यह किस नेता ने कहा, उसका नाम उन्होंने नहीं बताया। इसलिए इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। दूसरा, वे कह रहे हैं कि वे नई पार्टी बनाएंगे। प्रदेश भर का दौरा करेंगे और नई कांग्रेस तैयार करेंगे। जनता में लोकप्रिय रहे अर्जुन सिंह, उमा भारती और माधवराव सिंधिया जैसे नेता नई पार्टी खड़ा नहीं कर सके तो लक्ष्मण क्या कर पाएंगे यह बड़ा सवाल है।
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