उज्जैन में 300 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा चिड़ियाघर- सह-सफारी

-वन विभाग ने तैयार किया बनाने ब्लू प्रिंट
गणेश पांडे, भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 हेक्टेयर में चिड़ियाघर- सह-सफारी बनाया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चिड़ियाघर के निर्माण में लगभग तीन साल लगने की उम्मीद है।  इस परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि मंजूर की गई है। उज्जैन डिवीज़न ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल को भेज दी है। इस पर पीसीसीएफ वन्य प्राणी शुभरंजन सेन और अपर प्रधान मुख्य संरक्षक एल कृष्णमूर्ती एक्शन प्लान पर गंभीरता से मंथन शुरू भी कर दिया है। चिड़ियाघर के लिए बनाए गए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार बाघ, सफेद बाघ और तेंदुआ सहित पांच बड़े मांसाहारी जानवरों के लिए 47 अलग-अलग बाड़ों के साथ-साथ छोटे मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी, प्राइमेट, सरीसृप, एक तितली गुंबद, एक मछलीघर, एक बचाव केंद्र, एक संगरोध केंद्र और एक पशु चिकित्सा अस्पताल की योजना शामिल है। चिड़ियाघर में तीन सफारी बनाने का भी प्रस्ताव है- एक बाघों या शेरों के लिए होगा। दूसरा,  सफेद बाघों के लिए और एक शाकाहारी जानवरों के लिए। प्लान यह है कि पर्यटकों को खुली जीप में चलते हुए खुले वातावरण में जानवरों को देखने की अनुमति दी जाए। यह मध्य प्रदेश का पांचवा चिड़ियाघर होगा। अभी भी केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से मंजूरी का इंतजार हैं। बताया जा रहा है कि इंदौर से इसकी निकटता और महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए उज्जैन में प्रस्तावित चिड़ियाघर महत्वपूर्ण आगंतुकों की संख्या को आकर्षित करेगा। एक जानकारी के मुताबिक वन अधिकारी भोपाल के वन विहार की तर्ज पर चिड़ियाघर को डिजाइन करने की योजना बना रहे हैं, जहां जानवर पारंपरिक पिंजरों तक सीमित रहने के बजाय बड़े खुले स्थानों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं।
चिड़ियाघर-सह-सफारी एक बचाव केंद्र के रूप में करेगा काम
वन विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि चिड़ियाघर-सह-सफारी एक बचाव केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां राज्य के विभिन्न हिस्सों से बचाए गए जानवरों का इलाज किया जा सकेगा। मध्य प्रदेश को न केवल बाघ राज्य, बल्कि तेंदुआ राज्य, गिद्ध राज्य और घड़ियाल राज्य होने का गौरव प्राप्त है, इसलिए बचाव केंद्रों की बढ़ती आवश्यकता है। यहां जंगली जानवरों को पकड़कर उनका इलाज किया जा सके और उन्हें रखा जा सके।
जेबरा और जिराफ को रखने का प्रस्ताव  
भोपाल के वन विहार ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें यूरोपीय और पश्चिम एशियाई देशों से पांच ज़ेबरा और दो जिराफ लाने के लिए धन की मांग की गई है। चूंकि वन्यजीव संरक्षण नियम जानवरों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हैं, इसलिए इन जेबरा और जिराफ को या तो उपहार के रूप में प्राप्त किया जाएगा या भालू या तेंदुए को शामिल करने वाले विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। वन विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विचार यह है कि जानवरों का एक विविध संग्रह हो जिसे वन विहार और उज्जैन में नए प्रस्तावित चिड़ियाघर दोनों में रखा जा सके। उज्जैन चिड़ियाघर के अलावा, वन अधिकारी जबलपुर में भी इसी तरह का चिड़ियाघर-सह-बचाव केंद्र बनाने की योजना बना रहे हैं।

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