आज रवाना होगी नर्मदा पर्यावरण संरक्षण यात्रा

 

नर्मदा के तटवर्तीय क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण का जगाएगी अलख

अनोखा तीर, हरदा। मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहलाने वाली पुण्य सलिला मां नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों को सदानीरा बनाए रखने के लिए नर्मदा पर्यावरण संरक्षण यात्रा निकाली जा रही है। पर्यावरणविद गौरीशंकर मुकाति की पहल पर यह यात्रा अमृतवन संरक्षण फाउंडेशन के बेनरतले २ जनवरी से प्रारंभ होकर २३ जनवरी को संपन्न होगी। यात्रा का शुभारंभ केंद्र सरकार के राज्य मंत्री तथा बैतूल-हरदा लोकसभा क्षेत्र के सांसद डीडी उईके द्वारा धर्मध्वजा दिखाकर किया जाएगा। मां नर्मदा के नाभिकुंड पर पूजा-अर्चना करने पश्चात दक्षिण तट हंडिया स्थित ऐतिहासिक रिद्धेश्वर मंदिर परिसर से समारोहपूर्वक संतो तथा विशिष्टजनों की उपस्थिति में २० सदस्यीय यात्री दल रवाना होगा। इस अवसर पर पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल, हरदा विधायक रामकिशोर दोगने, जिपं अध्यक्ष गजेंद्र शाह, अवंतिका विश्वविद्यालय उज्जैन के डायरेक्टर श्रीपादजी अवधूत, प्रवाजिका विशुद्धानंदा भारती, वैदिक विद्यापीठम छीपानेर के निरंजन शर्मा, भारत भारती बैतूल के मोहन जी नागर, हरिहर आश्रम भमौरी के संत स्वामी राजेशदास जी आदि अपना स्नेहवचन प्रदान करेंगे। यात्रा के सूत्रधार पर्यावरणविद गौरीशंकर मुकाति ने बताया कि आज पर्यावरण प्रदूषण को लेकर समूचा विश्व परेशान है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निजात पाने के लिए विश्व स्तर पर अनेक सेमीनार आयोजित किए जा चुके हैं। लेकिन इसका स्थाई समाधान हासिल करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम उठते नजर नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासन स्तर पर किए जाने वाले प्रयास इस दिशा में नाकाफी साबित हो रहे हैं, चूंकि इस समस्या के मूल में मानव ही है, तो ऐसी स्थिति में जब तक इससे निजात पाने जन जागृति नहीं की जाती तब तक यह समस्या और विकराल ही होती जाएगी। आज पर्यावरण प्रदूषण से परेशान तो सब हैं, लेकिन इससे छुटकारा कैसे पाया जाए, इस दिशा में बमुश्किल शून्य दशमलब दो पांच प्रतिशत लोग ही सोच पाते हैं। ऐसी स्थिति में हमने पर्यावरण संरक्षण को आजीविका व रोजगार से जोड़ते हुए इसे किसानों की आर्थिक समृद्धि के समाधान के रूप में भी अपनाना शुरु किया है। श्री मुकाति ने कहा कि स्थानीय स्तर पर किए जाने वाले प्रयासों से ही जहां लोकल वार्मिंग कम होगी, वहीं ग्लोबल वार्मिंग में भी यही प्रयास सार्थक साबित होंगे। इसी दृष्टि से हमने मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा के संरक्षण तथा उसकी सहायक नदियों को सदानीरा बनाने के साथ ही मध्यप्रदेश में लोकल वार्मिंग कम करने की दिशा में यह कदम उठाया है। इतना ही नहीं, बल्कि हमारे यह प्रयास कार्बनके्रेडिट के क्षेत्र में विश्व स्तर पर मध्यप्रदेश सहित भारत को नेतृत्वकर्ता देश के रूप में उभारने वाले होंगे। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन लाईफ का आह्वान करते हुए ग्लोबल वार्मिंग संबंधी अंतर्राष्ट्रीय सेमीनारों में भारत को २०७० तक शून्य प्रतिशत कार्बन उत्सर्जित करने तथा २०३० तक ५० प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने वाले देश के रूप में निरुपित किया है। प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर मध्यप्रदेश की धरती पर किए जाने वाले यह प्रयास मील का पत्थर साबित होंगे।

यात्रा का लक्ष्य

नर्मदा पर्यावरण संरक्षण यात्रा के माध्यम से नर्मदा के तटवर्तीय १८ जिलों में आम जनता और किसानों के बीच वृक्षारोपण को लेकर जन जागृति का अलख जगाना है। जिसके माध्यम से नर्मदा व उसकी सहायक नदियों के किनारे किसानों के खेतों में लगभग ५० लाख हेक्टेयर भूमि पर ५० करोड़ पौधों का रोपण किया जाना है। इस महाअभियान में जहां लगभग ६० लाख से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, तो वहीं आने वाले २० वर्षों पश्चात लगभग १० लाख करोड़ से अधिक का काष्ठ उत्पादन होगा। यह कार्य जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है तो वहीं किसानों के लिए भी आर्थिक समृद्धि के द्वारा खोलेगा। इससे नर्मदा और उसकी सहायक नदियां सदानीरा बनी रहेंगी। इस यात्रा के समापन समारोह में जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी उईके, हरदा जिले के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग उपस्थित रहेंगे, तो वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी वर्चुअली जुड़कर समापन समारोह को संबोधित करना प्रस्तावित है।

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