जनसुनवाई में पीड़ित पति-पत्नी ने समस्या दूर न होने पर दी आत्महत्या की चेतावनी

 

अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते हो गए बर्बाद

-धोखेबाजों पर दर्ज नहीं हो रही एफआईआर

अनोखा तीर, हरदा। मंगलवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित जनसुनवाई में आवेदक पति-पत्नी ने एडीएम संजय राय के सामने परिवार सहित आत्महत्या करने की चेतावनी दे डाली। पीड़ित महिला ने यह तक कह दिया कि जिस जनसुनवाई में सुनवाई ही नहीं होती हो तो वह काहे की जनसुनवाई है। अधिकारियों के यहां चक्कर काटते-काटते हम बर्बाद हो गए है, लेकिन धोकेबाजों पर एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है। पहले भी जनसुनवाई, सीएम हेल्प लाईन पर शिकायत कर चुके, बस यही जवाब मिलता है कि दिखवाते है। मामला जमीन से जुड़ा हुआ है। जिसमें आवेदक आशा बाई और उनके पति उमेश सिंह राजपूत निवासी ग्राम धुरगाड़ा ने शैली पति राकेश भावसार, राकेश पिता परसराम भावसार निवासी सिराली तथा मांगीलाल पिता कंजीलाल राजपूत और चैनसिंह पिता हीरालाल राजपूत नहाली कला से भगवानपुरा में १३ एकड़ ७० डीसमील जमीन २००८ में खरीदी उसमें से ढाई एकड़ जमीन बेज दी। अब मेरे पास ११ एकड़ २० डीसमील होना चाहिए, लेकिन जब २०११ में सीमाकंन हुआ तो मौके पर ४ एकड़ ३२ डीसमील जमीन पटवारी के मुताबिक कम पाई गई। तब से ही मैं और मेरी पत्नी न्याय के लिए अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगा रहे है। पिछली जन सुनवाई में एडीएम ने लिखकर दिया और मुझे छिपावड़ भेजा एसडीएम के पास वहां से थाने पर दिया उन्होंने कहा कि यह मामला राजस्व विभाग का है। आवेदन दिए आठ दिन हो गए, लेकिन धोखेबाजों के खिलाफ एफआईआर इर्ज नहीं की जा रही है। जिसके चलते आज मंगलवार को फिर से आवेदन देने आए है और हम पति-पत्नी ने मांग की है यदि ४८ घंटों में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो हम आत्महत्या कर लेंगे। जिसके जिम्मेदार प्रशासन और आरोपी होंगे।

मौके पर रकबा ही नहीं, फिर भी हुई रजिस्ट्री

पीड़ित उमेंश सिंह राजपूत ने बताया कि जमीन खरीदी के समय रजिस्ट्री हुई, जिस रकबे की रजिस्ट्री की गई सिमांकन के दौरान पता चला की ५५/१ रकबा मौके पर मौजूद ही नहीं है, तो फिर अधिकारियों ने रजिस्ट्री कैसे कर दी। हमारे साथ मिलीभगत करके जमीन में धाकेबाजी की गई है। जमीन लेने के लिए मैंने अपना मकान बेचकर पैसा दिया था। अब हम किराए के मकान में रह रहे है।

हक की लड़ाई लड़ते ४० लाख के कर्ज में डूब गया परिवार

पीड़ित परिवार करीब १३ सालों से अपने हक की मांग को लेकर उदासिन प्रशासन आगे गुहार लगा रहा है और इस गुहार के चलते परिवार ४० लाख के कर्ज में डूब चुका है, लेकिन आज तक उनके हक की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। लम्बे समय से आशा लगाए परिवार ने आखिर थक हार कर प्रशासन से परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगी है। पीड़ित का कहना है कि अधिकारी हमें कहते है कि आपने उस समय क्यों नहीं देखा। हमारा कहना है कि क्या रजिस्ट्री के वक्त अधिकारियों को यह मामला नहीं दिखा। यह जिम्मेदारी तो संबंधित अधिकारियों की होती है जो जमीन की रजिस्ट्री करते है।

Views Today: 2

Total Views: 116

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!