–छत्तीसगढ़ समेत चार राज्यों में वनावरण वन और वृक्ष आवरण क्षेत्र में वृद्धि
गणेश पांडे, भोपाल। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की वर्ष 23 की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इसके मुताबिक 2021 के मूल्यांकन की तुलना में मध्य प्रदेश में 2021 की तुलना में 371.50 वर्ग किलोमीटर डेंसिटी फॉरेस्ट एरिया कम हो गया है। जबकि इन दो वर्षों में जंगल महकमा विकास शाखा और कैंपा फंड के हजारों करोड़ रूपया पौधारोपण पर खर्च कर चुका है। यही नहीं, अवैध कटाई और उत्खनन के चलते मप्र के 3124 वर्ग किलोमीटर घने जंगल समाप्त हो गए हैं। इसके पहले 2021 में सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 के प्रतिवेदन में चिंता जनक पहलू यह है कि दक्षिण सागर वन मंडल में सबसे अधिक 69.66 किलोमीटर डेंसिटी फॉरेस्ट एरिया घट गया है। इसके अलावा रायसेन में 46.69, श्योपुर में 41.22 वर्ग किमी, सिंगरौली – 31.16 किमी, विदिशा- 25.33 किमी, पन्ना टाइगर रिजर्व- 18.44 किमी, उमरिया – 11.18 किमी और पश्चिम मंडला में 11.47 वर्ग किलोमीटर डेंसिटी फॉरेस्ट कम हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि 2021 के बाद से दिसंबर 2023 तक इन वन मंडलों में पदस्थ रहे रेंजर, एसडीओ, डीएफओ से लेकर वन संरक्षकों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। जांच तो इस बीच संरक्षण शाखा के मुखिया के कार्यकाल की भी होनी चाहिए कि उन्होंने किस तरीके से निगरानी की। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिन वन मंडलों में डेंसिटी फॉरेस्ट एरिया कम हुआ है, उन्हें कैंपा और विकास मद से सबसे अधिक बजट दिए गए थे। जबकि जिन मंडलों को कैंपा मद से बजट कम मिला वहां वन आवरण क्षेत्र बढ़ा है। मसलन रतलाम वन मंडल में सबसे अधिक 39.36 वर्ग किलोमीटर वन आवरण क्षेत्र बढ़ा है। इसी प्रकार ओबेदुल्लागंज वन मंडल में 24.42 वर्ग किलोमीटर, दक्षिण बालाघाट – 31.54, दक्षिण बैतूल -27.04, दक्षिण छिंदवाड़ा 19.15 और शाजापुर वन मंडल में 15.93 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है।
मप्र में सागौन वन
क्षेत्रफल- 18,332 वर्ग किमी, जो कुल वन क्षेत्र का 19.36 प्रतिशत है। ये वन होशंगाबाद, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, पन्ना, सीहोर, देवास, हरदा, बैतूल, सागर, छिंदवाड़ा और मंडला जिलों में पाए जाते हैं। वे 75-125 सेंटीमीटर की औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ऐसे वनों के लिए काली मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
३६४.८३ करोड़ रुपए की उपयोगिता पर कैग उठा चुका सवाल
कैग ने कुल ६३ वन मंडलों से केवल १७ वन मंडलों में किए गए ऑडिट में ३६४.८३ करोड़ की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए हैं। गंभीर पहलू यह है कि वनीकरण क्षतिपूर्ति के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद वर्ष २०१७-१९ के बीच प्रदेश में वन घनत्व घटा और खुले वन आवरण क्षेत्र में १.३ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्षतिपूर्ति वनीकरण के नाम पर हुए पौधरोपण के लिए स्थल के चयन से लेकर पौधरोपण तक में गड़बड़ी की गई है। पौधों की जीवितता का प्रतिशत ७५ प्रतिशत होना चाहिए था, जबकि कैग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि पौधरोपण की जीवितता का प्रतिशत ६ से ६० प्रतिशत से भी कम है।
मप्र के साल वन
क्षेत्रफल- 3932 वर्ग किमी, जो कुल वन क्षेत्र का 4.15 प्रतिशत है। साल के जंगल मुख्य रूप से मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, सीधी, उमरिया, अनूपपुर और शहडोल जिलों में स्थित हैं। साल वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां औसत वर्षा 120 सेंटीमीटर होती है और लाल-पीली मिट्टी वाले क्षेत्रों में यह रेलवे स्लीपरों और निर्माण सामग्री के लिए प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है।
देश में 156 वर्ग किमी की वृद्धि
देश में वन और वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी की वृद्धि और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है। वन और वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्य छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी), ओडिशा (559 वर्ग किमी), और राजस्थान (394 वर्ग किमी) हैं। देश के वन संसाधनों का समय-समय पर मजबूत वैज्ञानिक पद्धतियों के आधार पर मूल्यांकन इन संसाधनों की निगरानी और वानिकी क्षेत्र के लिए बेहतर योजना बनाने के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है। पहली रिपोर्ट 1987 में एफएसआई द्वारा प्रकाशित की गई थी और तब से 17 ऐसी रिपोर्टें एफएसआई द्वारा प्रकाशित की गई हैं। आईएसएफआर 2023 इस श्रृंखला में 18वीं है।
सैटेलाइट आधारित होती है सर्वेक्षण
संगठन की दो प्रमुख गतिविधियों अर्थात उपग्रह आधारित वन आवरण मानचित्रण और क्षेत्र आधारित राष्ट्रीय वन सूची से प्राप्त इनपुट में जाते हैं। वर्तमान रिपोर्ट दो खंडों में प्रकाशित की गई है। खंड- वन में राष्ट्रीय स्तर का मूल्यांकन जैसे वन आवरण, मैंग्रोव आवरण, वन आग, बढ़ते स्टॉक, कार्बन स्टॉक, कृषि वानिकी, वनों की महत्वपूर्ण विशेषताए और दशकीय परिवर्तन दिए गए हैं। खंड टू में वन आवरण और प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए क्षेत्र सूची से प्राप्त जानकारी दी गई है। इसमें वन आवरण के बारे में जिला और वन प्रभागवार जानकारी भी शामिल है।
आईएसएफआर 2023 के प्रमुख निष्कर्ष
देश के कुल वन एवं वृक्ष आवरण में सकारात्मक परिवर्तन दिखा है।
-देश का कुल वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,356.95 वर्ग किमी है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। कुल वन आवरण 7,15.342.61 वर्ग किमी (21.76 प्रतिशत) है जबकि वृक्ष आवरण 1,12,014.34 वर्ग किमी (3.41 प्रतिशत) है।
– देश का कुल वन एवं वृक्ष आवरण 2021 के अंतिम आकलन की तुलना में 1,445.81 वर्ग किमी बढ़ गया है।
-वर्तमान आंकलन से पता चलता है कि पिछले आंकलन की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर वन आवरण में 156.41 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, तथा वृक्ष आवरण में 1,289.40 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है।
-वन आवरण में यह वृद्धि रिकार्डेट वन क्षेत्र/ग्रीन वॉश के अंदर ७.२८ वर्ग कि.मी और आरएफए/जीडब्ल्यू के बाहर १४९.१३ वर्ग कि.मी है।
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