पीपी मोड की वजह से हटे वन विभाग से कंसोटिया, वर्णवाल को दूसरी बार मिली कमान

 

गणेश पांडे, भोपाल। पिछले दिनों हुए प्रशासनिक सर्जरी में अपर मुख्य सचिव वन जेएन कंसोटिया को वन विभाग से चलता कर दिया गया। उन्हें डीजी प्रशासन अकादमी बनाया गया। जबकि कंसोटिया मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल है। प्रशासन अकादमी में पोस्टिंग कर शासन ने उन्हें सीएस की दौड़ से बाहर कर दिया। कंसोटिया के स्थान पर अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल को दूसरी बार वन विभाग का दायित्व सौंपा गया। प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि एसीएस कंसोटिया की कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव को लगातार शिकायत मिल रही थी कि वे एक वर्ग विशेष के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लगातार प्राइम पोस्टिंग और प्रोटेक्शन करते आ रहे थे। यानि पीपी (प्राइम पोस्टिंग और प्रोटेक्शन) मोड की वजह से सरकार उन्हें शासन की मुख्य धारा से हटा कर प्रशासनिक अकादमी में सदस्य कर दिया। इसके अलावा कंसोटिया ठेकेदारी लॉबी के दबाव में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के मुखालफत करने के बावजूद भी वन विभाग में ठेकेदारी प्रथा लागू करने पर खड़े हुए थे। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव की नेताओं एवं वन समिति के अध्यक्षों ने जंगल विभाग में ठेकेदारी प्रथा लागू नहीं करने का आग्रह किया था। इसी तरह के और शिकायतों को व्यक्तिगत रखते हुए सरकार ने कंसोटिया को हटाकर उनकी जगह पूर्व में प्रमुख सचिव वन के पद पर काम कर चुके अशोक वर्णवाल को एसीएस वन के पद पर पदस्थ किया गया।

प्रसंस्करण केंद्र पर भी पड़ेगा असर

एसीएस वन के पद से कंसोटिया के हटने का असर लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी पर भी पड़ेगा। कंसोटिया के प्रोटेक्शन की वजह से लघुवनोपज संघ के एमडी विभाष ठाकुर गड़बड़ झाला करने वालों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे। यही नहीं, प्रसंस्करण केंद्र की कमान दागी, अनुभवहीन और जूनियर अधिकारियों के हाथों में सौंप दिया गया। 3 महीने में दो सीईओ बदल दिए गए। इसकी वजह से प्रसंस्करण केंद्र में न केवल प्रशासनिक अराजकता फैल रही है बल्कि उत्पादन और कारोबार भी तेजी से घट रहा है। जबकि प्रसंस्करण केंद्र में हमेशा ही सीसीएफ स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग होती रही है।

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