कई सालों से कर रहे हैं कबेलू जमाने का कार्य

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अनोखा तीर रहटगांव:-क्षेत्र में बरसात के मौसम शुरू होते ही घरों में बरसाती पानी नहीं घुसे इसके लिए कच्चे मकानों में पन्नी और कवेलू जो पहले से रहते हैं उसे छाने का काम किया जाता है, और अभी तो अधिकांश मकान पक्के मकान मे तब्दील हो गए हैं। लेकिन कई मकान आज भी पुराने पैटर्न पर है जिस पर देसी और अंग्रेजी कबेलू छाए हुए हैं। जिनको बरसात से पहले एक बार फेरने का काम एक्सपर्ट (पारंगत)लोग ही करते हैं जिसमें नगर के ही मिश्री मालवीय प्रमुख रूप से मकान छाने का काम करते हैं, नगर में तीन चार लोग यह काम करते थे जिसमें मिश्री मालवीय भी घर छाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि 62 साल की उम्र में अभी भी मकानों पर कबेलू छाने का कार्य करते हैं, पहले कई मकानों को छाने का काम करते थे लेकिन अब 20 से 25 मकान को ही छाते हैं। विगत दो-तीन सालों से बंदरों द्वारा कवेलू को तोड़फोड़ करते हैं इससे भी काम मिल जाता है तो कई मकानों पर कबेलू की जगह टीन रख लिए हैं।मकान छाने मे लगभग दस से पद्रह हजार का काम हो जाता है। एक चश्मे मकान के 500 रुपये लेते हैं और एक चश्मा 6 हाथ चौड़ाई का होता हैं और दोनों और ढाल कितनी भी लंबी हो जाए वह उसमें शामिल होती है वही उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे यह कार्य बंद होने के कगार पर आने लगा है।और हजामत करने के पेतृक काम करने के साथ-साथ यह कार्य भी करते हैं जिससे दो पैसे की अलग से आमदनी हो जाती है।

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