लघु वनोपज संघ के विंध्या हर्बल की कमान महिलाओं के हाथों में, उत्पादन घटा, अराजकता बढ़ी

 

गणेश पांडे, भोपाल। लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी की तीन महिला अधिकारियों के हाथों में सौंपी दी गई है। इनमें एक प्रमोटी आईएफएस है और दो रेंजर है और उन्हें एसडीओ का प्रभार दे दिया गया है। जबकि संघ में एक सीनियर एसडीओ पदस्थ है और उससे बड़े बाबू का लिया जा रहा है। अनुभवहीन जूनियर अधिकारियों के हाथों में विंध्या हर्बल की कमान होने की वजह उत्पादन पर असर पड़ रहा है। अभी 2024-25 के वित्तीय वर्ष में केवल 1.8 करोड़ का आर्डर मिला है जिसकी सप्लाई करना संस्थान को असंभव लग रहा है। विगत 20 वर्षों से विंध्या हर्बल नाम से आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण करता आ रहा है। विगत वर्षों में केंद्र निरंतर प्रगतिशील रहा लेकिन 2 वर्षों में प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्ट नीतियों से केंद्र को बहुत नुकसान हुआ। वर्ष 2023-24 में केवल 18 करोड़ का ही ऑर्डर मिला और अभी 2024-25 के वित्तीय वर्ष में केवल 1.8 करोड़ का आर्डर मिला है, जिसकी सप्लाई करना संस्थान को असंभव लग रहा है। यहां तक कि संजीवनी केंद्र की डिमांड को भी पूरी करने में प्रसंस्करण केंद्र अक्षम साबित हो रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि विंध्या हर्बल की जगह रेहटी के उत्पाद विंध्यामृत को प्रोजेक्ट करने की साजिश हो रही है। सूत्रों का कहना है कि संघ के एमडी विभाष ठाकुर ने शासन को लिख कर दिया है कि विंध्यामृत रेहटी उनकी यूनिट है। यही वजह है कि रेहटी की विंध्यामृत को उत्पादन क्षमता से अधिक आयुर्वेदिक दवाइयां के बड़े आर्डर मिले है।

प्रशासनिक अराजकता का माहौल

प्रसंस्करण केंद्र में प्रशासनिक अराजकता की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि सीईओ अर्चना पटेल अवकाश पर चली गई है। प्रभारी एसडीओ सुनीता अहिरवार का अधिकारियों के साथ समन्वय नहीं है, क्योंकि सुनीता अहिरवार एसीएस फारेस्ट से डायरेक्ट रिपोर्टिंग करती है। वह अपने आपको एसीएस का वरदहस्त बताती है। यही वजह है कि संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर उत्पादन प्रबंधन सुनीता अहिरवार की गड़बड़ियों पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं। अहिरवार के खिलाफ ठाकुर ने स्वयं जाकर आदेश दिए किंतु आज तक जांच नहीं करवा पाए। पिछले सीईओ प्रफुल्ल फुलझेले से सुनीता अहिरवार की भ्रष्ट नीतिओं की जांच शुरू करने के वाद-विवाद के बाद फुलझेले को हटा दिया गया था। यही नहीं, जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर ने सीईओ से लेकर सहायक प्रबंधक तक महिला अधिकारियों की पोस्टिंग कर दी है। सीईओ अर्चना पटेल जब एसडीओ सीधी थी तब उनके ऊपर तेंदूपत्ते घोटाले के आरोप लगे थे। उनकी जांच अभी भी संघ की फाइल में दबी है। अभी कुछ दिन पहले ही प्रियंका बाथम रेंजर को सहायक प्रबंधक के रूप में बिठा दिया है और सारी ख़रीदी, बिल और अन्य प्रबंधन प्रियंका बाथम को दे दिया है, जिससे फिर से एसडीओ सुनीता अहीरवार परेशान है। आलम ये है कि तीनों महिला अधिकारी एक ही बात को अलग अलग तरीके से प्रबंध संचालक को सूचित करती है।

खाता ना बही, बाथम जो कहे, सो सही

प्रियंका बाथम का मूल पद रेंजर का है और उसे लंबे समय से एसडीओ का प्रभार मिला हुआ है। प्रभारी एसडीओ बाथम जो कहती हैं उसी के अनुसार संघ के एमडी निर्णय लेते हैं। पहली बार प्रियंका बाथम के कहने पर एक फर्म का भुगतान एमडी ने रोक रखा है। जबकि फर्म दो-दो बार कमेटी गठित कर जांच हो चुकी है। कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी फर्म का भुगतान नहीं किया जा रहा है। पहले एमडी ठाकुर भुगतान करने के निर्देश भी दे दिए थे किन्तु जब रेंजर ने अपना वीटो पॉवर लगाया तो एमडी बैकफुट पर आ गए।

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