गणेश पांडे, भोपाल। मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद भी जंगल महकमे में कमीशन का खेल बदस्तूर जारी है। इसी कड़ी में इंदौर डीएफओ अपने पसंदीदा प्रदाय कर्ताओं के कहने पर ई-टेंडर की शर्तें और तारीख बदलते रहे। जबकि नियम यह है कि निविदा की समय-सीमा और शर्ते बदलने के पहले सीसीएफ अथवा विभाग के मुखिया से अनुमति लेना अनिवार्य है। दोनों ही नियमों का पालन नहीं किया। हालांकि इंदौर डीएफओ का दावा है कि मैंने इस संदर्भ में सीसीएफ को पत्र जरुर लिखा है। इंदौर डिपो महेंद्र सिंह सोलंकी ने वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद, उपजाऊ काली मिट्टी, नीम खली और रूट शूट की खरीदी के लिए ई-टेंडर 17 जून 24 को आमंत्रित किया। इस ई-टेंडर में टर्न-ओवर 10 लाख रुपए निर्धारित की थी। ई-टेंडर भरने की अंतिम समय-सीमा 24 जून से पहले ही 21 जून को फिर से दूसरा ई-टेंडर आमंत्रित कर लिया। यानि चार दिन बाद ही इंदौर डीएफओ ने संशोधित ई टेंडर आमंत्रित किया। ऐसा करने से पहले डीएफओ इंदौर को सीसीएफ कोई अनुमोदन नहीं लिया। इस संदर्भ में डीएफओ का कहना था कि हमने अनुमोदन के लिए सीसीएफ को पत्र लिखा है। जबकि नियम यह है कि पहले ई-निविदा के प्रकाशन तिथि और संशोधित निविदा की तारीख में 4 दिन का अंतर है। यानी 7 दिन की अवधि से कम तिथि की वजह से डीएफओ को मुख्यालय से अनुमति लेना आवश्यक है। संशोधित निविदा की अंतिम समय-सीमा 27 जून निर्धारित किया गया। इसमें टर्नओवर की शर्तों में संशोधन करते हुए से 10 लाख की जगह पर 2 लाख कर दिया। इस संदर्भ में इंदौर डीएफओ का कहना था कि यह संशोधन ठेकेदारों के कहने पर किया है। ठेकेदारों को 10 लाख का टर्नओवर बहुत अधिक लग रहा था। इसी इसी प्रकार डीएफओ इंदौर ई-टेंडर क्र. 351427-2 और ई-टेंडर क्र. 351427-3 में भी शर्तें और समय-सीमा में परिवर्तन करते रहे।
क्या कहता है भंडार के नियम तथा सेवा उपार्जन नियम
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वित्त एवं बजट ने जनवरी 22 में सभी सीसीएफ और डीएफओ को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें भंडार के नियम तथा सेवा उपार्जन के नियम का सिलसिलेवार विवरण दिया था।
-ई-पोर्टल के अतिरिक्त व्यापक परिचालन वाले कम से कम एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र एवं दो राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में संक्षिप्त विज्ञापन प्रकाशित कराया जाएगा तथा निविदा का विस्तृत विवरण पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा ।
-सामान्यत: निविदा सूचना के प्रकाशन दिनांक से अथवा निविदा दस्तावेज के पोर्टल पर अपलोड होने के दिनांक से, जो भी बाद में हो, न्यूनतम 21 दिवस का समय निविदाएं प्रस्तुत करने हेतु दिया जाना होगा। विशेष परिस्थितियों में कारण अभिलिखित करते हुए अल्पकालिक निविदा भी आमंत्रित की जा सकेगी जिसमें निविदा प्रस्तुत करने हेतु समय-सीमा निविदा प्रकाशन दिनांक से न्यूनतम 14 दिवस होगी।
-इससे कम समय की अल्पकालिक निविदाएं दशा में निविदा प्रस्तुत करने हेतु समय-सीमा निविदा प्रकाशन दिनांक से न्यूनतम 03 दिवस अथवा 07 दिवस हो सकेगी। इस प्रकार 07 दिवस की निविदा हेतु निविदा स्वीकृतकर्ता अधिकारी से एक श्रेणी उच्चतर स्तर के अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किया जाना होगा तथा 3 दिन की निविदा हेतु प्रशासकीय विभाग से अनुमोदन प्राप्त किया जाना होगा ।
बालाघाट और डिंडोरी में भी गड़बड़झाला
बालाघाट डीएफओ ने एक ही आइटम के लिए टुकड़े-टुकड़ों में ई-टेंडर किए हैं। यही नहीं, अपने चहेते ठेकेदारों को प्रति उपकृत करने के डीएम और सबसे निर्धारित किया है। लंबे समय से इस दिशा में भी प्रतिभागियों द्वारा या मांग की जा रही है कि पूरे प्रदेश में हर प्रकार की खरीदी के लिए शब्दों का एक पैमाना निर्धारित किया जाए और उसे ही पूरे वनमंडलों में लागू किया जाए।
वन बल प्रमुख ने उठाया कदम
वन मंडलों द्वारा ई-टेंडर अथवा जेएम के लिए वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार प्रति वर्ष विभाग के विभिन्न कार्यों हेतु सामग्री का क्रय जेम के माध्यम से किया जाता है। जेम के माध्यम से क्रय की जाने वाली सामग्री की जानकारी से मुख्यालय अनभिज्ञ रहता है एवं इस कारण वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तत्समय यदि टेंडर में कोई त्रुटि होती है, वनमंडलाधिकारियों को उचित निर्देश नही दिए जा पाते। अत: भविष्य में जेम के माध्यम से क्रय की जाने वाली सामग्री का टेंडर की जानकारी, विज्ञापन विभागीय पोर्टल पर भी अपलोड किया जाना सुनिश्चित करें।
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