1479 करोड़ के बजट के बंटवारे का अधिकार हाथ से छीनने के भय से ठेके पर देने में वन विभाग कर रहा है ना-नुकुर

schol-ad-1

 

 

गणेश पांडे, भोपाल। राज्य शासन को अपने एक आदेश का पालन कराने के लिए अब तक एक के बाद एक, चार आदेश जारी करना पड़े। इसके बाद भी उस पर क्रियान्वयन होने में 6 महीने का समय और लग सकता है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वन विभाग के कैंपा शाखा और विकास शाखा में पदस्थ पीसीसीएफ नहीं चाहते हैं कि रिटायरमेंट के पहले ही बजट बांटने का अधिकार उनके हाथ से निकल जाए। यही वजह है कि मैन्युअल और शर्तों के निर्धारण की आड़ में पीसीसीएफ द्वय टेंडर प्रक्रिया से वानिकी कार्य कराने संबंधित आदेश का क्रियान्वयन अक्टूबर-नवंबर तक टालने की उधेड़बुन में लगे हैं। अक्टूबर में पीसीसीएफ महेंद्र सिंह धाकड़ कैम्पा और नवंबर में पीसीसीएफ विकास उत्तम कुमार सुबुद्धि सेवानिवृत होने जा रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि अंधा बांटे रेवड़ी… की तर्ज पर कैंपा शाखा 959 करोड़ और विकास शाखा 520 करोड़ रुपए का बंदरबांट किया जाता है। प्रदेश में वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ जंगलों की सुरक्षा और बढ़ते अपराध पर रोकने की दिशा में पूरा अमला मुस्तैद रहे। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन ने वन विभाग में अधोसंरचना निर्माण कार्य, पशु अवरोधक दीवार से लेकर वारवेड वायर एवं चैनलिंक फेंसिंग और पॉलीहाउस आदि के कार्य निविदा बुलाकर कराने का पहला आदेश 29 मई 23 को प्रसारित किया था। जबकि इसकी स्क्रिप्ट 29 अप्रैल 22 को लिखी गई थी। तत्कालीन वन मंत्री डॉ विजय शाह ने वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जरिए विभाग के सभी अधिकारियों को निविदा बुलाकर वानिकी कार्य करने के निर्देश दिए थे। यहीं नहीं, शाह ने विकास शाखा के तत्कालीन प्रमुख चितरंजन त्यागी को इसके लिए नियम और शर्तें बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। चूंकि त्यागी अक्टूबर 22 में रिटायर होने वाले थे, इसलिए नियम बनाने में टालमटोल करते रहे। उनके सेवानिवृत्ति के बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। जब एसीएस जेएन कंसोटिया ने वन विभाग का दायित्व संभाला तब फिर से निविदा बुलाकर कार्य करने संबंधित फाइल मंत्रालय में मूव होने लगी। 29 मई 23 को शासन ने पहला आदेश जारी किया कि 2 लाख के कार्य विभागीय रूप से किया जाएगा। विभागीय अधोसंरचना निर्माण कार्य ग्रामीण यांत्रिकीय विभाग के निर्माण कार्यों की दरों के आधार पर वन विभाग अपने मैन्युअल के आधार पर कराए। 31 दिसंबर तक निविदा प्रक्रिया के स्थान पर विभाग में पुरानी व्यवस्था अनुसार निर्माण कार्यों की अनुमति दी जाती है। 1 जनवरी 24 से जो भी कार्य प्रारंभ हो, उन्हें निविदा प्रक्रिया के उपरांत कराए जाएं।

विभागीय अफसरों ने नहीं दिखाई रुचि

वन बल प्रमुख से लेकर कैंपा शाखा और विकास शाखा के प्रमुख तक शासन के आदेश के क्रियान्वयन में कोई रुचि नहीं दिखाई। 31 दिसंबर 23 तक पूर्व वन बल प्रमुख आरके गुप्ता चाहते थे कि उनके सेवानिवृत होने के बाद इस पर क्रियान्वयन हो। यही वजह रही कि शासन के 29 में 23, 17 अगस्त 23 और 19 अक्टूबर 23 को जारी आदेश का क्रियान्वयन नहीं हो पाया। इस बीच सभी पीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों ने एक प्रेजेंटेशन बनाकर अपर मुख्य सचिव कंसोटिया को सौपा। इसमें निविदा से कार्य करने की तमाम सारी विसंगतियां बताई गई थी। बताते हैं कि कंसोटिया भी विभाग के शीर्ष अधिकारियों के तर्क पर सहमत हो गए थे। निविदा से कार्य करने का मामला ठंडा पड़ चुका था। अचानक 7 मार्च 24 को कंसोटिया ने फिर से आदेश जारी करने का हुक्म अपने मातहत को दिया। आदेश जारी होते वन भवन से फील्ड तक में हड़कंप मच गया। वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव और उनके सिपहसालार पीसीसीएफ सक्रिय हुए। वन बल प्रमुख ने आनन-फानन में पीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसके लिए वन विभाग एक मैन्युअल और शर्ते बनाए। ऐसा करने में 6 महीने का समय निकल जाएगा और तब तक 1479 करोड़ रुपए का 30 प्रतिशत बजट पहले त्रेमासिक के लिए पुरानी व्यवस्था के आधार पर चहेते डीएफओ को अपने मन माफिक बजट आवंटित कर दिया जाएगा। बैठक में ही उपस्थित एक सीनियर आईएफएस अधिकारी का कहना है कि मैन्युअल और शर्ते बनाने में अधिक से अधिक 1 महीने का समय लग सकता है। प्रदेश में आचार संहिता लागू है। ऐसे में अफसर चाहे तो 15-20 दिन में ही मैन्युअल और निविदा की शर्ते से बना सकते है। चर्चा है कि कैंपा और विकास शाखा में पदस्थ से पीसीसीएफ नहीं चाहते हैं कि उनके रिटायरमेंट के पहले शासन के आदेश पर क्रियान्वयन हो।

Views Today: 4

Total Views: 146

Leave a Reply

error: Content is protected !!