कभी कपड़ों की सिलाई कर बमुश्किल होता था गुजारा, अब लखपति किरण के साथ 1600 बहनें

अनोखा तीर भोपाल:-एक गांव की गृहिणी जो कभी लोगों के कपड़ों पर सिलाई कर अपना और परिवार का गुजारा करती थी, अब वह लखपति तो बन ही गई है, साथ ही अपने साथ 1600 बहनों को भी लखपति समूह में शामिल कर लिया है।वह पहले गांव में एक साधरण महिला के रूप से पहचानी जाती थी, लेकिन अब उनको अध्यक्ष दीदी के नाम से जाना जाता है। दरअसल जिला पंचायतों में गरीबी उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अजीविका स्वसहायता समूह से जुड़कर गांव की गृहिणी का जीवन पूरी तरह से बदल गया है और अब वह खुद तो आत्मनिर्भर बन गई हैं बल्कि अन्य बहनों को भी रोजगार दे रही हैं। यह ग्राम करोंदिया की रहने वाली बहन किरण बरैया की कहानी है, जो अब अन्य गांव की महिलाओं के लिए आदर्श बन गईं हैं।

जिला पंचायत भोपाल की जनपद पंचायत बैरसिया के गांव करोंदिया में रहने वाली किरण बरैया पति पतिराम ने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है ।वह बताती हैं कि छोटी-मोटी सिलाई का कार्य करती थी, जिससे कोई खास कमाई नहीं हो पाती थी। गरीबी में अपना जीवन यापन कर रहे थे, जिससे बहुत तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसी बीच आजीविका मिशन ब्लाक टीम एवं सीआरपी टीम द्वारा जानकारी दी गई और जुड़ने के लाभ बताए गए।
वर्ष 2017 में हुई जीवन बदलने की शुरूआत
पांच सितंबर 2017 को समूह गठित किया गया, जिसमें 12 सदस्य शामिल थीं। शुरूआत में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब समझ में आने लगा तो आगे बढ़ने के रास्ते मिल गए। समूह की बहनों की सहमति से मुझे अध्यक्ष बनाया गया और गांव की सभी महिलाओं को समूह से जुड़ने के फायदे बताए गए और एक संगठन का गठन किया गया। इस संगठन का भी मुझे अध्यक्ष बनाया गया और ग्राम संगठन को मिलाकर एक सीएलएफ का गठन किया गया। जिसमें भी मुझे अध्यक्ष चुना गया।

सालाना कमा रहीं डेढ़ लाख रुपये

किरण बरैया बताती हैं कि समूह से जुड़ने के बाद कुल एक लाख रुपये के करीब लोन मिला था। जिससे उन्होंने सिलाई मशीन खरीदी, किराना दुकान शुरू करने के साथ ही सेंटिंग का काम भी शुरू कर दिया।इन सभी में सफलता मिलने के बाद नर्सरी का कार्य शुरू किया । इस तरह हर महीने लगभग 12 हजार रुपये की आमदानी होती है और एक वर्ष में डेढ़ लाख रुपये की आमदानी हो जाती है। पति को भी अपने साथ काम में जोड़ लिया जिससे आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है।

पक्का घर बनाकर जिंदगी हुई खुशहाल

किरण को उम्मीद नहीं थी कि वह कभी पक्के घर में स्वजनों के साथ रहेंगी लेकिन बाबा रामदेव आजीविका स्वसहायता समूह से जुड़कर एक लाख रुपये का ऋण लेकर पक्का घर बनाया और अब स्वजनों के साथ उसमें खुशहाल जिंदगी जी रही हूं।अब समूह के माध्यम से तीन प्रकार की गतिविधि करने के बाद लखपति क्लब में शामिल हो गई हूं। इसके बाद मैंने सीएलएफ के अंतर्गत आने वाले समूह की एक हजार 630 बहनों को लखपति क्लब में जोड़ा है। इससे मैं काफी उत्साहित हूं।
इनका कहना है
जिला पंचायत द्वारा सरकार की योजनाओं के तहत गरीबी उन्मूलन का कार्य करने के लिए अजीविका स्वसहायता समूह ग्राम पंचायतों में संचालित किए जा रहे हैं।एेसे ही एक समूह से जुड़कर किरण बरैया तो आत्मनिर्भर बनी हैं साथ ही अन्य महिलाएं भी लाभांवित हो रही हैं।
– ऋतुराज सिंह, सीईओ, जिला पंचायत भोपाल

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