भोपाल। मध्य प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्रों में कम वोट हासिल हुए थे, वहां बढ़त बनाना भाजपा का पहला लक्ष्य है। इन क्षेत्रों में पार्टी विधानसभावार प्रभारी बनाएगी और गांव तक पार्टी के बेहतर काम को पहुंचाएगी। इसी क्रम में लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को जीत मिली, वहां विधानसभावार 10 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी बूथ सशक्तीकरण पर फोकस रहेगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि हार और जीत वाली दोनों ही सीटों की समीक्षा की जाएगी। हारने वाले प्रत्याशियों को विस्तारकों के साथ जुटाया जाएगा।
शक्ति केंद्र, बूथ प्रभारी और पन्ना प्रमुखों के साथ बैठक कर लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना तय की जाएगी। हारे हुए प्रत्याशी हार के कारणों का मंथन कर विधानसभा चुनाव में की गई गलतियों को सुधार कर शीर्ष नेतृत्व की रणनीति पर काम करेंगे।
ताजा विधानसभा चुनाव परिणामों को देखा जाए तो प्रदेश की 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की सभी सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगोन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
भाजपा अब इन विधानसभा सीटों को लेकर मंथन कर रही है और लोकसभा चुनाव की दृष्टि से इन सीटों पर मजबूत पकड़ बनाने में जुट गई है। हालांकि, पांच लोकसभा क्षेत्र भाजपा के लिए सुरक्षित हैं। यहां जनता ने सभी सीटों पर भाजपा को चुना हैं।
इनमें खजुराहो, होशंगाबाद, देवास, इंदौर और खंडवा लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती हैं। इनके अलावा सागर, दमोह, रीवा, सीधी, जबलपुर, विदिशा और मंदसौर लोकसभा क्षेत्र में केवल एक-एक विधानसभा सीट ही भाजपा हारी हैं, शेष सभी सीटों पर भाजपा को विजय मिली है।
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