प्रशांत शर्मा, हरदा। सूर्य आराधना का महापर्व मकर संक्रांति सामान्यत: तारीख से 14 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन इस साल भी यह 15 जनवरी को मनाया जाएगा। क्योंकि सूर्य 14 जनवरी को अर्ध रात्रि 2.36 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्यास्त के बाद राशि परिवर्तन करने से मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा। ऐसे में इस साल भी मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस वर्ष मकर संक्रांति अश्व पर बैठकर आ रही हैं अर्थात वाहन अश्व और उपवाहन सिंहनी होगा। पंडित गिरधर शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का प्रारंभ 14 जनवरी को अर्द्ध रात्रि 2.36 बजे से प्रारंभ होगा, इसलिए यह पर्व 15 जनवरी को उदया तिथि में मनाया जाना श्रेष्ठ है। इसका पुण्य काल 15 जनवरी सोमवार को प्रात:काल सूर्योदय से शुरू होगा और दिन भर रहेगा। भुवन विजय पंचाग के हिसाब से प्रात: 9 बजकर 4 मिनिट पर संक्रान्ति अर्की है। पर्व काल भी यही से प्रारंभ होगा जो सायं 5 बजकर 4 मिनिट तक रहेगा। 15 जनवरी को मकर संक्रांति के पुण्यकाल में तीर्थो में स्नान, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। यदि आप तीर्थ स्थल नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही सूर्योदय के पूर्व उठकर पानी में गंगाजल या नर्मदाजल डालकर स्नान करें। मकर संक्रांति पर चावल, मूंग की दाल, काली तिल्ली, गुड़, ताम्र कलश, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र आदि का दान करने से समृद्धि मिलती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा भी की जाती है।
संक्रांति पर तिल का महत्व
मकर संक्रांति से दिन तिल-तिल बढ़ना शुरू होंगे और रातें छोटी होती जाएंगी। इस पर्व पर तिल का विशेष महत्व है। सुबह तिल के स्नान, तिल से तर्पण, हवन, तिल के पूजन, तिल युक्त पदार्थों के दान का बहुत महत्व है। मकर संक्रांति पर स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध, अनुष्ठान और सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है। गंगा स्नान तथा गंगा तट पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा की जाती है।
सुबह 7.07 बजे से रवियोग
ज्योतिषियों के अनुसार इस साल मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 15 जनवरी को रवि योग, शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी। रवि योग सूर्योदय के साथ सुबह 7.07 से प्रारंभ होकर दिनभर रहेगा। इस दिन भगवान को तिल व तिल के लड्डू और गेहूं व चावल के खीचड़े का भोग लगाने का महत्व है। पं गिरधर शर्मा ने बताया जो लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैया से परेशान चल रहे हे रोग लग गए, धन हानी व्यापार ठप सा हो गया है। अशांति बनी हुई है, उन्हे संक्रांति पर्व पर तीर्थ स्नान कर अपने अशुभ कर्मो की क्षमा याचना करके काली तिल, वस्त्र का दान, गरीबों को भोजन कराना चाहीए। इससे शनिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं।