डालर चना पर उमाले की मार … किसान ने ९ एकड़ में लगे डालर पर चलाया कल्टीवेटर

 

 

इस साल मौसम की बेरूखी के चलते चना उत्पादक किसानों की चिंता कम होने का नाम नही ले रही है। क्योंकि, इस साल चने का रकबा अपेक्षाओं से कहीं ऊपर है। ऐसे में मौसम की मार ने पूरे खेल को पलटकर रख दिया है। हालांकि, हर एक चना उत्पादक किसान के साथ ऐसा नही है। किंतु , यह भी सच है कि कई रकबो में चने का बुरा हाल है। इसी कड़ी में मुख्यालय से लगे एक किसान ने अपने 9 एकड़ में लगी डालर की फसल में शनिवार को कल्टीवेटर चला दिया है। वजह, उमाले की वजह से कम उम्र में पूरी फसल पीली पड़ गई थी।  

 

अनोखा तीर, हरदा। इस साल रबी सीजन के शुरूआती दौर में मौसम की बेरूखी के चलते चना उत्पादक किसानों की चिंता कम होने का नाम नही ले रही है। न्यूनतम सिंचाईं वाली चने की फसल पर पानी की मार तथा घने बादलों के बीच रूक-रूककर बूंदाबांदी के कारण चने की प्राथमिक प्रक्रिया पर बुरा असर हुआ है। हालांकि, ऐसा हर एक चना उत्पादक किसान के साथ नही हुआ है। इसके भी अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं। साथ ही नहर सिंचाईं पर निर्भर रकबों में भी चना पीला पड़ने के साथ ही उमाले की शिकायत लगातार सामने आ रही है। इन सबके बीच शनिवार को मुख्यालय से लगे एक किसान ने अपने 9 एकड़ खेत में लगी डालर चने की फसल को कल्टीवेटर से बखर दिया है। उमाले की वजह से जगह-जगह टांके मतलब पीला पड़ने के कारण अंतत उन्होंनें खेत तोड़ने का मन बना लिया। जिस पर शनिवार को अमल कर दूसरे दिन यानि रविवार को उसी 9 एकड़ रकबे में गेहूॅ की बुआई की है। इधर, संबंधित किसान ने माना कि डालर चना पर अत्यधिक पानी बरसा है। जिसका दुष्परिणाम मौसम साफ होने के साथ ही खेत में जैसे-जैसे नमी टूटना शुरू हुई , वैसे-वैसे उमाले का दायरा बढ़ता गया। किसान के मुताबिक उस पर काबू पाने के लिए उपयुक्त दवाओं का छिड़काव भी किया। परंतु संतोषजनक परिणाम नही मिला। ऐसे में समय रहते यह निर्णय लेना पड़ा। उधर, कृषि वैज्ञानिकों के साथ विभागीय अधिकारियों की अलग-अलग टीम विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर चना फसल का मुआयना कर रहे हैं। जिन रकबों में उमाले का हल्का सा असर है, उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है।

ढ़ाई लाख रूपये की चोट

कृषक रत्नेश शर्मा ने बताया कि डालर की फसल प्रभवित होने की वजह से लगभग ढ़ाई लाख रूपये का नुकसान हुआ है। वहीं खेत को हरा-भरा करने के लिए दूसरी बार बुआई पर खर्च हुआ है। कुल मिलाकर इस साल रबी सीजन घाटे का सौदा साबित हुआ है।

पानी ने बिगाड़ा पूरा खेल

उन्होंनें यह भी बताया कि ९ एकड़ में लगभग 8 क्विंटल डालर चना की बुआई की थी। जिसका बेहतर जर्मीनेशन हुआ। तकरीबन २५ दिन बाद जब डालर में पानी पूरा हो गया, ठीक उसी ऊपरी पानी ने खेल बिगाड़ दिया। जिसके चलते ंलंबे समय तक खेत तरबतर रहा।

 

क्षेत्रीय किसानों का कहना …

७ नवम्बर को पूरे खेत में चना की बुआई की है। बीज अंकुरण का प्रतिशत भी संतोषजनक रहा। सूखे में पड़े बीज को उगाने समेत अन्य उद्देश्यों के चलते पानी लगा सकते थे, लेकिन ऐसा नही किया। बाद में ऊपर से बरसे पानी ने सबकी पूर्ति कर दी। अब, कहीं-कहीं का पौधा उमाले से ग्रसित दिखा था। जिस पर तुरंत दवा का छिडकाव कर दिया है। उम्मीद है कि बेहतर रिजल्ट मिलेगा।

सुरेश शर्मा, किसान

इसी क्षेत्र के एक अन्य किसान ने बताया कि महज एक एकड़ में डालर चना बोया है। लेकिन ४० दिनी फसल में अब तक पानी नही दिया है। क्योंकि, पानी बरसने के बाद से खेत में अब भी पर्याप्त नमी है। ऐसी स्थिति में इस बार आखिरी तक पानी नही देने का मन बना रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह कि आगे कोई मावठा आता है तो फसल उसे झेलने के लिए तैयार रहेगी। फिलहाल डालर चना स्वस्थ है।

मयंक पाराशर, किसान

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