जन-औषधि केंद्रों पर जहां मिलनी चाहिए सस्ती दवाएं, वहीं लुट रहे मरीज

भोपाल। जन-औषधि केंद्रों में सस्ती दवाओं की कमी के बीच मुनाफे का कारोबार भी खूब फल-फूल रहा है। यहां सस्ती दवाओं की जगह महंगी दवाएं बेचकर धड़ल्ले से कमाई की जा रही है। ऐसा ही एक मामला भोपाल मेमोरियल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में सामने आया है। यहां प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र में सरकारी सस्ती जेनेरिक दवाओं की जगह खुले बाजार की महंगी दवाएं बेची जा रही हैं। इसका खुलासा हुआ है नवदुनिया के स्टिंग में। यहां महंगी जेनेरिक दवाएं बेचते कर्मचारी कैमरे में भी कैद हुए हैं। इस दौरान दुकान संचालक ने महंगी दवाएं बेचने की बात स्वीकारते हुए सफाई दी कि जन-औषधि केंद्र की सरकारी सप्लाई ठीक तरह से नहीं होती है, इसलिए खुले बाजार की जेनेरिक दवाएं बेच रहे हैं। बता दें कि अस्पताल प्रबंधन ने जन-औषधि केंद्र के लिए परिसर में दुकान खोलने की अनुमति दी, लेकिन यहां नियम विरुद्ध महंगी दवाएं बेचकर मरीजों को ही लूटा जा रहा है।

बीएमएचआरसी में प्रतिदिन करीब 1200 से अधिक मरीज आते हैं। इनमें से करीब 50 प्रतिशत गैस पीड़ित होते हैं। इस तरह 600 मरीजों को अस्पताल से निश्शुल्क दवाएं मिल जाती है, वहीं बाकी को बाहर से दवाएं लेनी पड़ती है। परिसर में संचालित जन-औषधि केंद्र पर सरकारी सप्लाई के बजाय बाहरी महंगी दवाएं बेचने से संचालक को 300 से एक हजार प्रतिशत तक का मुनाफा होता है।
ऐसे हुआ खुलासा
सरकारी दुकान में महंगी दवा बेचने की सूचना मिलने पर नवदुनिया संवाददाता बीएमएचआरसी पहुंचा। चिकित्सक से पर्चा तैयार कराकर जेनेरिक दवाएं लिखवाईं और जन-औषधि केंद्र के कर्मचारी से दवाएं मांगी। दवाएं मांगने पर कर्मचारी ने दूसरी जेनेरिक दवाएं निकालकर थमा दीं।
बाजार में मिलने वाली दवाओं के दाम अधिक
जन-औषधि केंद्र से मिलने वाली दवाओं में प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना लिखा होने के साथ बैज बना होता है। सरकार इन स्टोर में मिलने वाली दवाओं के दामों को नियंत्रित रखते हुए न्यूनतम दाम प्रिंट कर सप्लाई करती है, जबकि कंपनियां जो जेनेरिक दवाएं तैयार करती हैं, उन पर कई गुना अधिक दाम प्रिंट होता है। हलांकि दोनों दवाओं की वास्तविक कीमत लगभग बराबर ही होती है, लेकिन इससे दुकानदार अधिक मुनाफा कमाते हैं।
कार्रवाई के लिए लिखते हैं
परियोजना के स्टेट मार्केटिंग मैनेजर आकाश राठौर ने बताया कि इन केंद्रों से ब्रांडेड की बात तो दूर, कोई बाहर की जेनेरिक दवाएं भी नहीं बेच सकता है। यदि कोई संचालक बाहरी दवाओं को बेचता है तो कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखते हैं। वहीं दुकान संचालक कुलदीप सरोठिया ने बताया कि अस्पताल में संचालित प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र मेरा ही है। जो दवाएं सप्लाई नहीं हो रही है, वह बाहर से लाकर बेच रहा हूं।

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