भगवती नर्सिंग होम हत्याकांड की फिर से होगी जांच

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अनोखा तीर, हरदा। अधिवक्ता अनिल जाट ने बताया कि वर्ष 2020 में अर्जुन पटेल के बेटे युवराज पटेल निवासी अवगांवखुर्द के द्वारा अपने घर पर काम करने वाली एक 15 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया था। जब वह नाबालिग गर्भवती हो गई तो उसका गर्भपात कराने, उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने तथा बलात्कार के सबूत मिटाने के लिए उस बच्ची को अर्जुन पटेल के द्वारा शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर मनीष शर्मा के पास ले जाया गया। इसके बाद उसे भगवती नर्सिंग होम मे भर्ती कराया गया। भगवती नर्सिंग होम में उसे दवाएं और इंजेक्शन दिए गए, जिसके बाद उसके गर्भ से उत्पन्न हुई संतान के गले को सर्जिकल ब्लेड से काटकर उसकी बेरहमी के साथ हत्या कर दी गई। इसके बाद पुलिस के द्वारा न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया। पुलिस के द्वारा अर्जुन पटेल और उसके बेटे युवराज पटेल के साथ-साथ नाबालिग की मां एवं उस नाबालिग पीड़िता को भी आरोपी बना दिया गया। परंतु पुलिस के द्वारा इस केस में न तो डॉक्टर मनीष शर्मा को आरोपी बनाया गया और ना ही भगवती नर्सिंग होम के संचालक डॉ. आरबी पटेल को आरोपी बनाया गया और ना ही अस्पताल प्रबंधन या किसी कर्मचारी को आरोपी बनाया गय था। इसके बाद इस मामले में गरीब आदिवासी परिवार को प्रताड़ित किए जाने की जानकारी जैसे ही जयस प्रदेश अध्यक्ष रामदेव काकोडिया को लगी उनके द्वारा अधिवक्ता अनिल जाट से संपर्क किया और इस मामले को फिर से रिओपन कराने का निर्णय लिया गया। इसके बाद इस मामले की पुन: जांच करवाने के लिये अधिवक्ता अनिल जाट एवं जयस प्रदेश अध्यक्ष रामदेव काकोडिया के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में नबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता की ओर से हाईकोर्ट अधिवक्ता अंकित सक्सेना एवं अधिवक्ता अमन प्रजापति के माध्यम से मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए डब्लयूपी दिसंबर 2022 में जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। इसी याचिका पर दिनांक 05 दिसंबर 2022 को सीबीआई सहित मध्य प्रदेश सरकार एवं एसपी हरदा तथा डॉ मनीष शर्मा, भगवती नर्सिंग होम को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद पिछली सुनवाई को इस मामले में पुलिस अधीक्षक हरदा एवं मुख्य स्वास्थ चिकित्सा अधिकारी हरदा को व्यक्तिगत शपथपत्र दायर करने हेतु निर्देश दिये थे और यह भी पूछा था कि इस केस में डॉ.मनीष शर्मा एवं भगवती नर्सिंग होम तथा अन्य संबंधित डॉक्टरों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। साथ ही जिस मेडिकल बोर्ड का गठन डॉक्टर मनीष शर्मा को आरोपी नहीं बनाये जाने के संबंध में किया गया था उस मेडिकल बोर्ड के सदस्य डॉ शिरिष रघुवंशी, डॉ.राजेश सिसोदिया, डॉ.गोविंद कुशवाह थे, उन्हें भी इस याचिका में पक्षकार बनाया गया था और उन्हें भी नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद इस याचिका पर दिनांक 29 नवंबर 23 को अंतिम सुनवाई की गई। इस याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस अधीक्षक हरदा की और से माननीय उच्च न्यायालय में व्यक्तिगत शपथ पत्र पर यह कहा गया कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय हरदा के द्वारा दिनांक 24 नवंबर 2023 को एक आदेश पारित करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरदा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है। जिसमें एसडीओपी हरदा एवं थाना प्रभारी सिविल लाइन हरदा भी शामिल हैं। उप पुलिस अधीक्षक हरदा अजाक सुनील लाटा को विवेचना अधिकारी बनाया हैं एवं इस मामले कि फिर से नए सिरे से जांच कर रहे है और डॉक्टर मनीष शर्मा एवं भगवती नर्सिंग होम की भूमिका की जांच की जा रही हैं। इस पर माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा राज्य सरकार के साथ-साथ पुलिस को 3 महिने में संपूर्ण जांच पूरी करने के का आदेश दिया हैं तथा तब तक ट्रायल कोर्ट को निर्णय पारित न करने का भी आदेश देते हुए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता के द्वारा दायर इस याचिका को आज निराकृत कर दिया गया है। अधिवक्ता अनिल जाट ने बताया कि इस मामले में जो पुलिस अधीक्षक हरदा की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा जो आदेश दिये गये हैं उसके तहत पुलिस को इस मामले की फिर से जांच करना होगी। संबंधित डॉक्टरों को एवं संबंधित अस्पताल को तथा इस अपराध में शामिल समस्त व्यक्तियों को आरोपी बनाना होगा और पीड़ित पक्ष को न्याय प्रदान करवाना होगा। अगर पुलिस के द्वारा फिर से आरोपियों के प्रभाव में आकर सही जांच नहीं की जाती है या दोषी डॉक्टरों एवं अस्पताल को बचाने की कोशिश की जाती है तो इस मामले में फिर से हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर, दोषियों के साथ-साथ उन्हें बचाने वालों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी।

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