नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 21वी शताब्दी में विकासशील और अल्पविकसित देशों की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। जी-20 नेताओं के वचुर्अल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान जी-20 संगठन को पीपल्स-20 की पहचान मिली। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि उसकी अध्यक्षता में अफ्रीका की आवाज भी जी-20 में शामिल की गई है।
उन्होंने कहा कि जी-20 ने समावेशी व्यवस्था का पूरी दुनिया को अभूतपूर्व संदेश दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकासशील देश ऐसे कई संकटों का सामना कर रहे हैं जिसके लिए वे जिम्मेदार नही हैं। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि विकास के एजेंडा को पूरा समर्थन दिया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 में नवाचार और डिजिटल प्रोद्यौगिकी को समर्थन देते हुए मानव केन्द्रित दृष्टिकोण को अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि जी-20 ने फिर से बहुपक्षवाद में विश्वास बढाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में नई चुनौतियां उभरी हैं और पश्चिम एशिया में असुरक्षा और अस्थिरता सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जी-20 देशों का एक साथ आना दर्शाता है कि सभी मुद्दों के प्रति ये देश संवेदनशील है और मिलकर उन्हें सुलझाना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आंतकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नही है और आम नागरिकों की मौत की निंदा होनी चाहिए। गजा में बंधक बनाए गए 50 लोगों की रिहाई पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत बंधकों की रिहाई का स्वागत करता है। उन्होंने आशा प्रकट की कि बाकी बंधकों को भी जल्द छोड दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमता के इस युग में प्रोद्यौगिकी के जि़म्मेदार उपयोग पर जोर दिया उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता यानि आटिफिशियल इंटेलीजेंस पर वैश्विक नियम बनाने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने समाज के लिए डीप फेक के खतरों के बारे में भी अगाह किया।
इस वचुर्अल शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली में हुए सम्मेलन के निष्कर्षों और कार्य बिन्दुओं पर चर्चा होगी। जी-20 की अध्यक्षता इस महीने की 30 तारीख तक भारत के पास रहेगी और 2024 में उसे ब्राजील ग्रहण करेगा।