योग गुरु बाबा रामदेव के कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए चेतावनी दी है कि पतंजलि रोगों के निदान के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में झूठे और भ्रामक दावे वैल विज्ञापनों से बचे, यदि ये जारी रहता है तो कोर्ट प्रत्येक उत्पाद पर 1-1 करोड़ रुपये के हिसाब से जुर्माने की कार्रवाई भी करने पर विचार कर सकता है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसियेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे सभी झूठे और भ्रामक दावे वाले विज्ञापनों को तत्काल रोकना होगा, नहीं तो इस आदेश के उल्लंघन को अदालत बहुत गंभीरता से लेगी।
स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय को नोटिस जारी
याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड सहित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय को भी नोटिस जारी किये, कोर्ट ने कहा कि पतंजलि से कहा कि वो अपनी पैथी के प्रचार और दवाओं की बिक्री के लिए वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे करने और विज्ञापन प्रकाशित करने का उसे अधिकार नहीं है।
कोर्ट की सख्ती , उल्लंघन हुआ तो प्रतेक उत्पाद के हिसाब से लगेगा 1-1 करोड़ का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस आदेश के बाद भी यदि ये पाया जाता है कि किसी बीमारी को ठीक करने का दावा गलत पाया जाता है तो कोर्ट प्रत्येक उत्पाद पर 1-1 करोड़ रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है, कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा कि ऐसे भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों पर रोक के लिए सरकार कोई समाधान खोजे जहाँ कुछ बीमारियों के सटीक इलाज वाली दवाइयों के दावे किये जाते हैं।
आईएमए की याचिका पर अब अगली सुनवाई 5 जनवरी को
दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका की सुनवाई हो रही है, पीठ ने अब सुनवाई की अगली तारीख 5 जनवरी तय की है, आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने एलोपैथी और एलोपैथी डॉक्टर्स की आलोचना करने पर बाबा रामदेव की आलोचना की थी और पतंजलि आयुर्वेद को झूठे दावे वाले विज्ञापनों पर चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया था।