अनोखा तीर, हरदा। क्षेत्र में चना-गेहूॅ समेत अन्य रबी फसलों की बुआई को लेकर खेतों में पलेवा कार्य जोरों पर हैं। क्षेत्र के जागरूक तथा उन्नतशील किसानों ने जहां २० अक्टूबर के पनलेनवा प्रारंभ कर दिया था, वहीं तवा डेम से नहरों में पानी छूटने के बाद प्राय: चारों तरफ पलेवा कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। इसी बीच मुख्यालय पर डीएपी का टोटा होने की बात सामने आ रही है। जिसके चलते किसान यहां-वहां भटकते दिख रहे हैं। जिला विपणन केन्द्र के बाहर हर रोज किसानों की लंबी लाइन देखी जा सकती है। बावजूद , किसानों को पर्याप्त खाद नही मिल पा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएपी उपलब्ध होने की स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ एक बोरी खाद मुहैया कराए जाने की बात कही जा रही है। इस दौरान ऋणपुस्तिका एवं आधार कार्ड की फोटोकॉपी उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके अलावा केन्द्रों पर पहुंचकर रहे सीमित स्टॉक का भी तुंरत वितरण होना बताया जा रहा है। साथ ही प्रायवेट डीलर भी खाद आवंटन दौरान प्रशासन द्वारा तय रूपरेखा अनुसार मंडी में काउंटर लगाकर खार विक्रय कर रहे हैं। बावजूद कई किसानों के हाथ खाली है। वहीं इन सब परिस्थितियों के मध्य किसानों को प्रायवेट दुकानों का रूख करना मजबूरी बना हुआ है। जहां किसान 1350 रूपए की जगह 1470 रूपए में एक बोरी खाद खरीदकर अपनी जरूरत को पूरा कर रहे हैं। किसान योगेश शर्मा ने बताया कि डीएपी की किल्लत के चलते एनपीके को वैकल्पिक खाद मानकर बुआई कार्य पूरा करने में जुटे हैं। इसके अलावा कई किसानों ने तो गेहूॅ में आवश्यक तत्वों की पूर्ति को मुख्य ध्येय बना लिया है। वे उन तत्वों को अलग-अलग क्रय कर खेत में पर्याप्त व जरूरी खाद के साथ बुआई कर रहे हैं। हालांकि उनकी इस प्रक्रिया के चलते बुआई लागत बढ़ना लाजमी है।
एनपीके १२-३२-१६ की मांग
केन्द्रों पर डीएपी के लिए लंबी जद्दोजहद के बीच गेहूॅ बुआई के लिए १२-३२-१६ खाद की डिमांड ज्यादा है। उक्त तत्व वाले खाद को किसान तवज्जों दे रहे हैं। इनमें एनपीके शामिल है। क्योंकि, खेतों में आ चुकी बतर के बाद किसानों को हर हाल में बुआई करना है।
एकसाथ डिमांड बढ़ने के आसार
बता दें कि क्षेत्र में करीब एक तिहाई रकबे में पलेवा पूर्ण होने के साथ साथ कहीं चना की बुआई हो चुकी है तो कई खेत बुआई के लिए तैयार हैं। वहीं गेहूॅ के खेतों में पलेवा प्रारंभ हुआ है। ऐसे में अगले एक-दो सप्ताह में यूरिया की एकसाथ डिमांड बढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं।