भैरूंदा। श्राद्ध पक्ष के दौरान नगर में संजा माता की धूम मची हुई हैं। नगर के कई वार्डो व मोहल्लों में में आज भी कुंवारी कन्याओं ने इस पर्व को जीवित रख रखा हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए संजा माता के गीत गा रही हैं। इस पर्व को लेकर बालिकाओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा हैं। गाय के गोबर, फूल, पत्तियों के साथ चड़ी के टुकड़े व कौडियों से संजा माता को आकर्षक रूप दिया जा रहा है। घर की बाहरी दीवार पर माता की आकृतियां बनाई गई हैं। इस लोकपर्व को लेकर मान्यता हैं कि जो लड़कियां संजा माता की पूजा करती हैं उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती हैं। आज के इस आधुनिक युग में बालिकाएं इस पर्व को आर्ट कला से जुड़ा पर्व मानकर सामाजिक व धार्मिक उद्देश्यों को भी पूरा कर रही है। वैसै इस पर्व को निमाड़ व मालवांचल में अधिक मनाया जाता हैं, लेकिन इस पर्व को क्षेत्र में भी कई बालिकाओं ने जीवित रख रखा हैं। नगर के किसान मोहल्ला, भाईलाल कालोनी, सुभाष कालोनी, गोंडी मोहल्ला की बालिका आरती, पूनम व स्वाती कीर ने बताया कि इस पर्व के चलतें बाहरी दीवारों पर गोबर से किला कोट, गणेशजी की प्रतिमा, पुतलियां, चांद, सूरज व कई पशु व वृक्ष बनाये जाते हैं। यह प्रकृति के प्रति प्रेम दर्शाती हैं। उन्हें संजा बनाने की परंपरा परिवार की वरिष्ठ महिलाओं से सीखने को मिली है। संजा के गीतों में प्रकृति के प्रति प्रेम व संजा का अपनी सांस के प्रति लडक़पन स्पष्ट रूप से झलकता है।
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