गणेश पांडे, भोपाल। न्यायालय में लंबित मामले पर विधानसभा में भी बहस नहीं होती है पर सीधी डीएफओ ने बेदखली का फरमान जारी कर दिया। यही नहीं, जब एसडीओ ने न्यायालय में प्रकरण लंबित रहने के कारण कार्यवाही से इनकार किया तो उसे निलंबित कर दिया गया। सीधी वन मंडल के अंतर्गत वन-राजस्व सीमा विवाद में चुरहट न्यायालय में चुरहट रेंज के झूमर वन खंड के कक्ष क्रमांक- पी-992 के अंतर्गत फॉरेस्ट के मुनारों से बाहर बने कृष्णमणि तिवारी विरुद्ध वन विभाग का मामला लंबित है। बावजूद इसके, सीधी डीएफओ क्षितिज कुमार ने 80-ए के अंतर्गत बेदखली की कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए है। वह भी तब, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक तौर पर कहते आ रहे हैं कि शासकीय भूमि पर बने मकान में रह रहे लोगों की बेदखली की कार्रवाई नहीं की जाएगी। वन मंडल अधिकारी सीधी क्षितिज कुमार एवं वन संरक्षक राजेश राय द्वारा कूटरचित तथ्यों के आधार पर शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी बिना परीक्षण के संगठित प्रशासनिक कार्यवाही करते हुए विद्या भूषण मिश्रा सहायक वन संरक्षक उपवन मंडल अधिकारी सीधी को निलंबित किया गया। उल्लेखनीय है कि जिस प्रकरण पर मिश्र को निलंबित किया गया वह आज भी अधीनस्थ न्यायालय चुरहट में विचाराधीन है। साथ ही वन अपराध वन पर प्रस्तुत किया गया। चालान आज भी न्यायालय में विचाराधीन है। 80 ए के विरुद्ध पारित आदेश की अपील कार्यवाही मध्य प्रदेश शासन अपर सचिव अपर सचिव के यहां विचाराधीन है। साथ ही यह कार्यवाही मुख्य संरक्षक रीवा के यहां विचाराधीन है। सिविल सूट चुरहट में विचाराधीन है।
न्यायालय के फैसले का भी इंतजार नहीं
क्षितिज कुमार द्वारा गलत वन अपराध पंजीबद्ध कर गलत 80 ए की कार्यवाही की गई। जिसे शासन की गाइडलाइन बताया गया, जो नियम के विरुद्ध है। क्षितिज कुमार द्वारा विद विरुद्ध वन भूमि के बाहर वन अपराध पंजीबद्ध कराया गया। जिसे वह वन भूमि कह रहे हैं, वह स्थल मुनारी के बाहर है एवं वह खसरा 3/2 जो संरक्षित वन खंड झूमर के ब्लॉक मैप में उल्लेखित नहीं है। साथ ही वह खसरा 1972 से दी नोटिफाई किया गया है एवं राजस्व विभाग को हस्तांतरित किया गया है। साथ ही इसी प्रकरण में अतिक्रमक को 1992 में दोषमुक्त किया गया था। क्षितिज कुमार द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए न तो न्यायालय का सम्मान किया गया और न ही शासन के राज्य पत्र का सम्मान किया गया। वन भूमि पर इस प्रकार गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही क्षितिज को कुमार द्वारा की गई थी जिसे अब वह उपवन मंडल अधिकारी सीधी विद्या भूषण मिश्रा पर डाल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मिश्रा 11 अक्टूबर 2022 को सीधी में ज्वाइन किया था। जबकि पूरा प्रकरण उनके ज्वाइन करने के लगभग 3 वर्ष पहले का है।
जीपीएस रीडिंग और पंचनामे के तहत वन भूमि के बाहर है मकान
जिला न्यायालय के निर्देश के बाद सीसीएफ रीवा ने एसडीओ विद्याभूषण मिश्रा को मौका-मुआयना करने का फरमान जारी किया। 5 रेंजर और सरपंचों के साथ एसडीओ मिश्रा ने जीपीएस से रीडिंग कर पंचनामा तैयार किया। जिसमें यह पाया कि कृष्णमणि तिवारी का मकान वन भूमि की मुनारो से 30-40 फीट दूरी पर बना है। झूमर गांव चुरहट के कृष्ण मणि तिवारी का कहना है कि चुरहट न्यायालय में मामला लंबित है। वैसे भोपाल से सीनियर वन अधिकारी को भेजकर जांच कर लिया जाए कि मेरा मकान फॉरेस्ट भूमि पर है अथवा उसके बाहर बना है? अपने आप स्थिति क्लियर हो जाएगी। डीएफओ ने जानबूझकर मेरे खिलाफ राग द्वेष की भावना से प्रकरण दर्ज किया है।
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