अनोखा तीर, नर्मदापुरम। बेमौसम बारिश ने इस साल गेहंूं की चमक पर पानी फेर दिया। उत्पादन कम हुआ, ऊपर से क्वालिटी भी ठीक नहीं, किसान चिंतित थे, लेकिन किसानों को सीएम शिवराज के उस ऐलान से राहत की उम्मीद बंधी जिसमें उन्होंने कहा था कि चमक विहीन गेहूं भी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीद भी लिया, लेकिन जैसे ही यह गेंहू एफसीआई के गोदाम में पहुंचा तो वहां के अधिकारियों ने इसे रिजेक्ट कर दिया। ऐसी स्थिति में अब किसानों का करोड़ों का भुगतान अटक गया है। कुछ किसानों का आरोप है कि एफसीआई के अधिकारी गेहूं पास करने के एवज में सेवा शुल्क ले रहे हैं, नहीं देने पर गेहूं रिजेक्ट किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को दान दक्षिणा दे दो तो वह गेहूं पास कर देते हैं और ऐसा नहीं होने पर रिजेक्ट कर दिया जाता है। यह स्थिति भी तब है जब कलेक्टर के सख्त निर्देश है कि कोई भी किसी भी प्रकार की कोताही न बरती जाए और शासन द्वारा खरीदा गया गेहूं वेयर हाउस में रखा जाए, लेकिन कलेक्टर के आदेशों के बाद भी सर्वेयर, उपार्जन समिति की भूमिका संदिग्ध माने जा रही हैं। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बोलते हैं कि समस्त किसानों का एक-एक दाना खरीदा जाएगा, जिसके परिपालन में समितियों ने किसानों का एक-एक दाना खरीदा, जिसकी जांच, क्वालिटी चेक की गई, 60 प्रतिशत उपज मप्र शासन की गोदामों में गेहूं जमा हो गई, लेकिन जो 40 प्रतिशत गेहूं एफसीआई की गोदामों में जमा होना था, वह एफसीआई अधिकारियों द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया है। कुछ किसानों का आरोप है कि एफसीआई के कर्मचारी एवं सर्वेयर जबरदस्ती गेहूं को रिजेक्ट कर रहे है। जबकि इससे पहले का मिट्टी मिला गेहूं तक एफसीआई के वेयर हाउसों में जमा हो चुका हैं, लेकिन कई किसानों का गेहूं सेवा शुल्क नहीं देने के कारण रिजेक्ट किया गया है। सूत्रों के अनुसार समितियों द्वारा खरीदा गया करीब १ लाख क्विंटल गेहूं एफसीआई के अधिकारियों ने रिजेक्ट कर वापिस लौटा दिया है। जिसे पवारखेड़ा वेयर हाउस में जमा कराया जा रहा है। यहां उक्त रिजेक्ट गेहूं को अपग्रेड किया जाएगा। अपग्रेड कराने के लिए राशि देना पड़ेगी, जिसका भुगतान समितियों की करना पड़ेगा। जबकि खरीदी कर रहीं समितियां आर्थिक परेशानी को लेकर लगातार विरोध जतातीं आ रहीं हैं, वह अपग्रेड के लिए अलग से भुगतान कैसे करेंगी। जबकि किसानों ने अपना गेहूं दिया है, तो वह भुगतान के लिए भटक रहे हैं।
कैसे रिजेक्ट हुआ गेहूं
बताया जाता है कि जिले में लगभग 62 उपार्जन केंद्र 11294 किसानों से 12 लाख 85 हजार 584 क्विंटल गेहूं खरीदा गया। जिसमें से एफसीआई विभाग के अधिकारियों 1 लाख 1 हजार 274 क्विंटल गेहूं रिजेक्ट कर दिया है, मतलब एफसीआई इटारसी द्वारा 20 करोड़ों से अधिक का गेहूं रिजेक्ट कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन की लगातार निगरानी के बावजूद गेहूं रिजेक्ट किया जाना, समझ से परे है, जिला प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी तय करना चाहिये। क्योंकि जिले भर में हो रही खरीदी में जिला प्रशासन के निर्देशों को सर्वेयरों द्वारा हवा में उड़ाया जा रहा है। लेनदेन कर घटिया किस्म की उपज खरीदी जा रही है। एफसीआई द्वारा गेहूं रिजेक्ट किया जाना इसका स्पष्ट प्रमाण है, कार्यवाही भी होना चाहिए।
एफसीआई के गोदामों में रखा जाता है 40 प्रतिशत गेहूं
बता दें कि मप्र शासन गेहूं उपार्जन केंद्रों से निर्धारित मापदंड के अनुसार गेहूं खरीदती है, और उक्त गेहूं उपार्जन करने के बाद 40 प्रतिशत गेहूं एफसीआई के वेयर हाउस में रखवाती है, लेकिन यहां यह हो रहा है कि जिले के एफसीआई अधिकारी ने उक्त गेहूं को रिजेक्ट कर दिया है। सवाल यह उठता है कि उपार्जन केंद्र में जब गेहूं किसानों से खरीदा जाता है तो उसके लिए पहले सर्वेयर गेहूं को देखता है, उसको पास करता है, इसके बाद गेहूं उपार्जन किया जाता है। फिर गेहूं सिलेक्ट करने के बाद इसे उपार्जन समिति एफसीआई भेजती है, जिसे भी रिजेक्ट कर दिया गया, तो यहां सवाल यह उठता है कि आखिर तीन चरणों में पास होने वाला गेहूं रिजेक्ट कैसे हुआ? इस संबंध में डिपो मैनेजर एफसीआई इटारसी हेमंत वरूणकर से संपर्क करना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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