आखिर जंगल में एक बाघ की इतनी निगरानी क्यों ?

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विकास पवार बड़वाह– नगर से करीब पाच किमी दूर सतपुडा के घने जंगलों में कई प्रजाति के जंगली जानवर है। लेकिन विगत कुछ दिनो पहले इसी जंगल में एक बाघ के आने की सूचना अखबारों की सुर्खियां बन गई। हालाकि अभी तक इन जंगलों में तेंदुए, नील गाय, हिरण, मौर जैसे कई जंगली जानवर होने की जानकारी सभी को थी। जिसके बाद देवास जिले के जंगल से एक बाघ के आने से स्थानीय वन मंडल के अधिकारी कर्मचारी उस बाघ की हर गतिविधियों पर नजर बनाए बैठे है। जिसकी हर हरकतों पर 10 अप्रैल से ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही है। हालाकि इस मामले बड़वाह रेंजर धर्मेंद्र राठौर ने बताया की वर्तमान में प्रदेश में बाघों की संख्या कम है और ऐसी स्थिति में यदि हमारे जंगल क्षेत्र में किसी और जंगल से बाघ आया है तो वह हमारे लिए एक मेहमान के तौर पर है। जिसकी देखभाल करना हमारे विभाग की जिम्मेदारी है। इसलिए विगत 10 अप्रैल से हमारे विभाग द्वारा इस बाघ पर कैमरे से निगरानी रखी जा रही है। रेंजर राठौर ने बताया की यह बाघ नर है जिसकी पुष्टि कैमरे में कैद फुटेज के माध्यम से हुई है।

आखिर एक बाघ की इतनी निगरानी क्यों……..

जब प्रतिनिधि विकास पवार ने रेंजर राठौर से बाघ के विषय पर जानकारी चाही की एक बाघ की इतनी निगरानी क्यों ? तो उन्होंने बताया की पूर्व में भी कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में घुसकर तेदुए द्वारा गाय और बकरियों का शिकार किया गया है। जिसके मद्देनजर इस बाघ द्वारा भी कही किसी ग्रामीण क्षेत्रों में कोई घटना नही हो। इसलिए इस पर ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी जा रही है। जबकि इस निगरानी से बाघ के साथ अन्य जंगली जानवरों के होने की शंका का भी समाधान हो सकेगा। बाघ की निगरानी के दौरान जंगल में कुछ तेंदुए भी पानी पीते दिखाई दिए है। इस निगरानी के दौरान बाघ को अधिकतर जयंती माता,सुरती पूरा तालाब और चौड़ा पाट के जंगलों में घूमते देखा गया है। जहा 26 अप्रैल दोपहर करीब 3:56 पर एक पानी भरे कुंड में बाघ के बैठने की फुटेज कैमरे में कैद की गई।

शाम को जंगल से निकलने की नही देंगे अनुमति……

बड़वाह से जैन तीर्थ क्षेत्र सिद्वरकुट करीब 18 किमी की दूरी पर है। जहा जाने वाले यात्रियों को घने जंगल के रास्तों से गुजरना होता है।जबकि इस जंगल क्षेत्र से ही ग्राम सुलगाव, पलासिया के रहवासी प्रतिदिन आवागमन करते है। लेकिन जंगल में बाघ के भ्रमण करने के कारण ऐसे यात्रियों और राहगीरों के लिए शाम के समय इस जंगल मार्ग से निकला खतरनाक साबित हो सकता है। जिसके मद्देनजर स्थानीय वन मंडल ने शाम 6 बजे से इस जंगल मार्ग में किसी भी व्यक्ति या यात्रियों का आवागमन बंद करने का निर्णय लिया है। ताकि किसी के साथ कोई अप्रिय घटना न हो सके। रेंजर राठौर ने बताया की दिन के समय बाघ विश्राम अवस्था में होता है। जबकि शाम होते ही वह शिकार के लिए जंगलों में भ्रमण करता है। जिससे किसी भी जनावर या इंसान पर हमला होने की संभावना ज्यादा होती है।उल्लेखनीय है की अब वन मंडल की इस सख्ती के बाद इस मार्ग से गुजरने वाले लोगो को भी अपनी सुरक्षा की दृष्टि से वन मंडल के नियमो का पालन करना चाहिए ।ताकि किसी के साथ कोई अप्रिय घटना न हो।

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