अनोखा तीर, हरदा। २१ अपै्रल २०२० क्षेत्रवासियों के लिए एक खुशियों वाला दिन था। मुख्यमंत्री शिवराजङ्क्षसह चौहान ने अपनी छोटी सी कैबिनेट गठन करते हुए मात्र पांच मंत्रियों को मंत्री मंडल में शामिल किया था। जिसमें हरदा क्षेत्र के विधायक कमल पटेल भी शामिल थे। उन्हें कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग का दायित्व सौंपा गया था। कोरोना काल की विषम परिस्थतियों के बावजूद भाजपा की आलाकमान, संगठन और मुख्यमंत्री की उम्मींदों पर खरा उतरकर श्री पटेल ने जो कृषि को लाभ का धंधा बनाने की मुहिम प्रारंभ की थी, वह अब फलीभूत नजर आ रही है। हम बात करें मंत्री पद संभालते ही कृषि क्षेत्र में बदलाव की तो, जो कार्य कृषि मंत्री कमल पटेल के द्वारा संभव हुआ था, वह और कोई नहीं कर सकता। वह कार्य था, कोरोना जैसी महामारी में जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा था, तब नर्मदांचल संभाग के किसानों के लिए गर्मी की तीसरी फसल मूंग के लिए तवा डेम के गेट खुलवाए और किसानों को लॉकडाउन के दौर में भी आय का साधन उपलब्ध कराया था। इसी के साथ ही उन्होंने पद को संभालते ही रबी की फसल गेहूं और चने की खरीदी भी कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुए प्रारंभ करवाई, जिससे किसानों को समय पर धन राशि प्राप्त हो पाई और उन्हें आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ा। कृषि मंत्री श्री पटेल के ३ वर्षीय कार्यकाल की बात की जाए तो उन्होंने हिन्दी भाषा को महत्वपूर्ण स्थान देने के लिए कृषि विभाग में हिन्दी भाषा का प्रयोग अनिवार्य किया। वहीं किसानों की कोई भी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने कमल सुविधा केंद्र की स्थापना की। वहीं कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री के साथ विशेष प्रयास कर मध्यप्रदेश में एपिडा कार्यालय की स्थापना कराई। जिससे कृषि उत्पाद निर्यात करने में सुविधा मिलेगी। इसी के साथ कृषि मंत्री के ३ साल के कार्यकाल मेें राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश को विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया। जिसमें एमपी फार्म गेट एप को सीएसआई सीआईजी ई गवर्नेस अवार्ड मिला। वहीं कृषि अंधोसंरचना निधि के सर्वाधिक उपयोग हेतु बेस्ट फार्मिंग अवार्ड मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ। वहीं मिलेट मिशन योजना में भी बेस्ट इमेजिंग स्टेट का पुरस्कार मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ है। कृषि मंत्री श्री पटेल ने अपने कार्यकाल में जब देखा कि फसल बीमा के अंतर्गत १०० हेक्टेयर भूमि के आधार पर नुकसानी का आंकलन फसल बीमा कंपनियां करती हैं तो उन्होंने उसके स्थान पर ५० हेक्टेयर पर फसल बीमा नुकसानी का आंकलन करने की व्यवस्था प्रारंभ की। इसी तरह वन ग्राम में रहने वाले पट्टेधारी किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता था, ऐसे वन ग्रामों को राजस्व ग्राम अर्थात पटवारी हलके में शामिल कराकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ कृषि मंत्री ने दिलाया। कृषि मंत्री ने अपने कार्यकाल में केंद्र सरकार से चना, मसूर, सरसों की उपार्जन सीमा २५ क्ंिटल से बढ़वाकर ४० क्विंटल करवाई। वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार से आग्रह कर समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी भी प्रारंभ कराई। जिससे प्रदेश के किसानों की आय में निश्चित तौर पर बढ़ोत्तरी हुई है।
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