-क्यों है जरूरी एचयूआईडी हॉलमार्क कानून
अनोखा तीर, हरदा। देश में स्वर्ण उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हेतु भारत सरकार बीआईएस द्वारा सुरक्षा कवच दिया जा रहा है। अक्सर लोग इसके बारे में जानकारी न होने से स्वर्ण बाजार में ठगा जाते हैं। इससे बचने के लिए हमें एचयूआईडी और हालमार्क की जानकारी होना जरूरी है। सराफा कारोबार से जुड़े कमल सोनी ने बताया कि एचयूआईडी हॉलमार्क ज्वेलरी बेचने के पहले देश के प्रत्येक सराफा व्यापारी को बीआईएस विभाग में पंजीकृत होकर इसका लाइसेंस लेना अनिवार्य है। उपभोक्ता भी इन्हीं पंजीकृत लायसेंसधारी सराफा व्यापारी से ही खरीदी करें।
क्या हैं इसके लाभ
पंजीकृत दुकानदार द्वारा एचयूआईडी हॉलमार्क ज्वेलरी बेचने पर बिल में ज्वेलरी की चतुर्सीमा का स्पष्ट उल्लेख करना होगा। इसमें गोल्ड की शुद्धता केरेट या प्रतिशत बताना जरूरी है। इसके साथ शुद्धता अनुसार ही सोने का भाव, सोने का नेट वेट का वजन कम करके बताना है। वहीं मेकिंग बनवाई का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाता है ताकि गोल्ड ज्वेलरी वापस करते समय कोई विवाद न हो। बिल में जीएसटी और हॉलमार्क चार्ज का भी उल्लेख करना होगा।
यह व्यवस्था जरूरी हैं-
सराफा व्यापारी के पास मैग्नीफाइन ग्लास की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि हॉलमार्क ज्वेलरी खरीदते समय क्रेता चाहे तो एचयूआईडी के 6 डिजिट का अवलोकन कर सके। हॉलमार्क कानून के अनुसार एचयूआईडी की सिक्स डिजिट की डिटेल को मोबाइल के बीआएस केयर एप्लीकेशन पर डालकर गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता और सत्यता की जांच की जा सकती है। ध्यान रहे कि इस हॉलमार्क कानून के अनुसार खरीदी गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता और सत्यता को बीआईएस हॉलमार्क सेंटर पर 200 रुपए या उचित शुल्क देकर सोने की शुद्धता की जांच करा सकते हैं।
मेकिंग व डिजाइन की गाइडलाइन नहीं
हॉलमार्क कानून के अनुसार गोल्ड ज्वेलरी की मेकिंग की कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। यहां व्यापारी खर्च अनुसार शुल्क ले सकेंगे। मगर गोल्ड ज्वैलरी खरीदते या बनवाते समय लेन-देन का ध्यान देना होगा कि यह मेकिंग महंगी है या सस्ती।
अन्य पहलू पर भी ध्यान दें
यदि स्वर्ण उपभोक्ता द्वारा पुरानी गोल्ड ज्वेलरी देकर जमा कर नए स्वर्ण आभूषण बनाए जा रहे हैं तो उस पर एचयूआईडी जरूर करवाएं। यह उपभोक्ता का हॉलमार्क कानूनी अधिकार है। यह ध्यान रखें कि एचयूआईडी करने के लिए स्वर्ण कारीगर या दुकानदार के पास बीआईएस लाइसेंस होना अनिवार्य है। किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए पुराना सोना जमा करके नए आभूषण बनवाते समय एचयूआईडी करवाकर, पक्का बिल लेकर, मेकिंग, जीएसटी और हॉलमार्क चार्ज जरूर जमा करें। यदि स्वर्ण उपभोक्ता द्वारा पुरानी रकम जमा करके, नई रकम बनवाई जा रही है, तो ध्यान रखें कि गोल्ड ज्वेलरी 14 कैरेट, 18 कैरेट, 20 कैरेट, 22 कैरेट, 23 कैरेट और 24 कैरेट की एचयूआईडी हॉलमार्क सेंटर द्वारा की जाती है। ध्यान रहे, पक्के की रकम शुद्ध सोना रकम वालों के लिए भी बीआईएस भारत सरकार द्वारा 24 कैरेट की भी एचयूआईडी की जा रही है।
डायमंड ज्वेलरी खरीदी में सावधानी
डायमंड ज्वेलरी खरीदते समय यह ध्यान रखें कि अधिकतर डायमंड ज्वेलरी 18 कैरेट में ही बनाई जाती है और 18 कैरेट की ही एचयूआईडी होती है। अत: 18 कैरेट शुद्धता के अनुसार ही भाव दिए जाएं। यह भी ध्यान रखें कि यह भाव 20 कैरेट और 22 कैरेट की अपेक्षा बहुत कम होता है। डायमंड ज्वेलरी में यदि असली हीरे डायमंड लगे हुए हैं तो स्वर्ण उपभोक्ता ध्यान रखें कि बीआईएस भारत सरकार द्वारा सिर्फ सोने की शुद्धता की जांच के लिए ही हॉलमार्क सेंटर को लाइसेंस देकर अधिकृत किया गया है। यहां डायमंड की शुद्धता की जांच हॉलमार्क सेंटर पर नहीं होती है।
डायमंड की मूल्य वापसी
डायमंड की मूल्य वापसी या मूल्य निर्धारण के लिए बीआईएस भारत सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं है। जड़ाऊ ज्वेलरी, कुंदन ज्वेलरी, स्टोन ज्वेलरी खरीदते समय भी स्वर्ण उपभोक्ता यह ध्यान रखें कि इसकी स्वर्ण शुद्धता के लिए किसकी जिम्मेदारी है। किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए पक्का बिल और पक्की लिखापढ़ी और मूल्य की रिटर्न पॉलिसी वापसी की स्पष्ट बात जरूर करें। स्वर्ण उपभोक्ता के संतुष्ट न होने की दशा में उसके द्वारा बीआईएस केयर एप्लीकेशन पर संबंधित दुकानदार की शिकायत भी की जा सकती है। ध्यान रखें की बीआईएस हालमार्क कानून के अनुसार स्वर्ण वजन की 5 गुना पेनाल्टी और दंड का प्रावधान भी है।
अप्रैल माह से कानून अमल में
बीआएस भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2023 से एचयूआईडी हाल मार्क कानून को प्रभावी किया जा रहा है। इसके लागू होने से स्वर्ण उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सकेगी।
Views Today: 2
Total Views: 48