जंगल पट्टी के रोशनी में बारिश, ओले भी गिरे
खंडवा। सोने जैसी गेहूं व चने की फसल खेतों में खड़ी है। इस पर मानसून का कहर शनिवार को टूट पड़ा। किसानों की धकधुकी बंध गई। खालवापट्टी के रोशनी, पटाजन इलाके में तेज बारिश हुई। कहीं-कहीं ओले भी गिरे। खड़ी व सूखी फसल को भी क्वालिटी में नुकसान होगा। कटी हुई फसल का दाना काला पड़ सकता है। ओले चने के बराबर के कहीं कहीं गिरे। खंडवा, पंधाना, हरसूद, बीड़, मूंदी में भी दोपहर से बादलों ने गडग़ड़ाना शुरू कर दिया। बिजली भी चमकी। हालांकि कई जगह गरज और चमक ने ही किसानों की सांसों का ग्राफ ऊपर-नीचे कर दिया। करीब 80 प्रतिशत किसानों की फसलें खेतों में खड़ी हैं। हालांकि, किसी तरह के ज्यादा नुकसान की भी खबर नहीं है। तापमान में जरूर गिरावट दज की गई है। अरब सागर में बने दबाव को बिना मौसम बारिश का कारण बताया जा रहा है।
2015 में बने थे ऐसे हालात
साल 2015 के 1 मार्च को भी खंडवा जिले में यही हालात बने थे। उस वक्त तो पूरा जिला तर-बतर हो गया था। किसानों को भारी नुकसान सहना पड़ा था। मौसम के अचानक करवट बदलने से स्थिति विपरीत हो गई है। अकेले खंडवा जिले या निमाड़ में ही इस बारिश का असर नहीं है। पूरे उत्तर भारत को इस बेमौसम बरसात ने अपनी चपेट में ले लिया है।
फायनल स्टेज पर गेहूं की फसल
खंडवा में शनिवार की शाम अचानक बादल छा गए, गडग़ड़ाहट के साथ बूंदाबांदी होने लगी। मौसम में अचानक परिवर्तन की वजह पश्चिमी विक्षोभ का असर बताया जा रहा है। लेकिन हवा के साथ हल्की बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया। खेतों में फायनल स्टेज पर गेहूं की फसल खड़ी है। जिससे कि, पौधे में नमी बढ़ी और हवा चली तो फसल आड़ी पड़ सकती है।
प्रदेशभर में ऐसा ही मौसम
भोपाल स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीके साहा के मुताबिक, प्रदेशभर में मौसम परिवर्तन हुआ है। दो दिन पूर्व ही कई जिलों में हल्की बारिश की संभावना व्यक्त की जा चुकी थी। बादल छाने के साथ हल्की बारिश का असर रहेगा। हालांकि, बारिश का असर सिर्फ 24 घंटे तक है, रविवार को मौसम पूरी तरह साफ हो जाएगा। खेतों में नमी युक्त गेहूं की फसल खड़ी होने से किसानों की चिंता जायज है।
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