दैनिक अनोखा तीर, हरदा। जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान। शिव चालीसा के दोहा चौपाई के क्रमानुसार वृक्षारोपण का अनुठा प्रयास इन्दौर के ब्रिटिश पार्क फेस टू में किया गया है। सृष्टि सेवा संकल्प के नेतृत्व ओर वृक्षारोपण के क्षेत्र में किये जा रहें प्रयासों से प्रेरित होकर ब्रिटिश पार्क फेस टू के रहवासियों ने शिव चालीसा के साथ वृक्षारोपण कार्य किया है। जिसका अनावरण निर्मोही अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत श्री सीताराम दास जी महाराज महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर 18 फरवरी को करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रमोद झा व सृष्टि सेवा संकल्प के मार्गदर्शक प्रशांत गुप्ता सहित श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर समिति व ब्रिटिश पार्क फेस टू के रहवासियों सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों उपस्थित रहेंगे।
इन्दौर में बने इस अनूठे पार्क को तैयार करने में ग्राम पंचायत ढाबली की विशेष भूमिका रही है। सृष्टि सेवा संकल्प के मार्गदर्शक प्रशांत गुप्ता ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर संस्था द्वारा निरंतर लोगों को वृक्षारोपण से जोड़ने तथा विभिन्न अवसरों पर पौधारोपण करने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि हमारे धर्मग्रंथों और धर्म गुरुओं ने भी इस विषय को अलग अलग माध्यमों से समाज के समक्ष रखने का प्रयास किया है। महाकवि तुलसीदास जी ने तो मनुष्य काया को खेत की संज्ञा देते हुए कहा है कि
तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयौ किसान।
पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।
इसी तरह अनेक रचनाकारों द्वारा भी वृक्षारोपण को लेकर जनजागृति हेतु दोहा चौपाई लिखे जाते रहे हैं।
वृक्षारोपण यूं कहे, चिंतित हैं सब लोग। इसीलिए तो कर रहे, भू पर तरु का योग।
पर्यावरण खिला-खिला, खिले-खिले हैं लोग।
वृक्षों से औषध मिले, हमको करे निरोग।
इसी तरह हिन्दू धर्म में प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा और प्रार्थना का प्रचलन और महत्व है, क्योंकि हिन्दू धर्म मानता है कि प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। प्रकृति के सारे तत्व ईश्वर के होने की सूचना देते हैं इसीलिए प्रकृति को भगवती, दैवीय और पितृ सत्ता माना गया है। हिन्दू धर्म का वृक्ष से गहरा नाता है। हिन्दू धर्म को वृक्षों का धर्म कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ब्रह्मांड को उल्टे वृक्ष की संज्ञा दी गई है। पहले यह ब्रह्मांड बीज रूप में था और अब यह वृक्ष रूप में दिखाई देता है। प्रलयकाल में यह पुन: बीज रूप में हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। इसके अलावा एक बरगद, एक अनार, एक कड़ीपत्ता, एक जामफल, एक तुलसी, एक नींबू, एक अशोक, एक चमेली, एक चम्पा का वृक्ष लगाने से निरोगी काया रहकर घर में धन, समृद्धि और शांति बनी रहती है। अक्सर आपने देखा होगा कि पीपल और वटवृक्ष की परिक्रमा का विधान है। स्कंद पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है। पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
घर के वास्तुदोष से मुक्ति का सबसे सरल उपाय है घर के आसपास वृक्षों को लगाना। किसी ज्योतिष और वास्तु के जानकार से पूछकर घर के आसपास ऐसे वृक्ष लगाएं, जो आपके घर की ऊर्जा को बदलकर वास्तुदोष का निवारण कर दे। श्री गुप्ता ने कहा कि उपरोक्त धार्मिक किंवदंतियों को दृष्टिगत रखते हुए ही इस पार्क में शिव चालीसा के दोहो पर आधारित क्रमानुसार वृक्षारोपण किया गया है। वहीं प्रत्येक वृक्ष के साथ दोहा चौपाई भी लिखें गये है।
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