विधायक बिरला ने प्रदेश के परिवहन मंत्री को पत्र लिख बताए दुर्घटनाओं के मुख्य कारण

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विकास पवार बड़वाह – इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर लगातार भयावह दुर्घटनाओं व जाम से होने वाली समस्या से क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है। किलर हाइवे के नाम से कुख्यात इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर एक दुर्घटना की स्याही सूखती नहीं और दूसरी दुर्घटना समाचार पत्रों की सुर्खिया बन जाती है। दुर्घटनाओं के कारण कई परिवारों के बच्चे अनाथ हो रहे हैं और कई लोग स्थायी विकलांगता का शिकार हो रहे हैं। हाइवे पर लगातार भयावह दुर्घटनाओं के कारण क्षेत्र में दहशत और रोष का वातावरण बन रहा है। इसके अलावा हाइवे पर आए दिन लगने वाले लंबे जाम के कारण भी यात्रियों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

दुर्घटनाओं का कारण 5-5 मिनट के अंतराल से परमिट जारी —-

इंदौर-इच्छापुर हाइवे की संकीर्णता, हाइवे की गुणवत्ताविहीन मरम्मत, यात्री बसों की अनियंत्रित बेलगाम रफ्तार और यात्री बसों के संचालन हेतु आरटीओ द्वारा जारी परमिट में मात्र 5-5 मिनट का अंतराल दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बन रहा है। हाइवे पर लगातार हादसों के कारण से मध्यप्रदेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
हाइवे पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्षेत्रीय विधायक सचिन बिरला ने प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंदसिंह राजपूत को एक पत्र लिखा है। जिसमे उन्होंने अवगत करवाया है कि इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर इंदौर से खंडवा के लिए यात्री बसों के संचालन हेतु आरटीओ द्वारा मात्र 5-5 मिनट के अंतराल से परमिट जारी किए गए हैं। इस कारण समय पर गंतव्य तक पहुंचने की प्रतिस्पर्द्धा और रास्ते की सवारी बिठाने के लिए यात्री बसों के चालक अंधा धुंध गति से बस चला रहे हैं। इसलिए यात्री बसों के संचालन के परमिट में कम से कम 15 से 20 मिनट का अंतराल रखना अनिवार्य किया जाए। प्रदेश की सभी यात्री बसों के भीतर और पीछे यात्री बसों के रूट में आने वाले सभी पुलिस थानों,आरटीओ और मालिक के मोबाइल नंबर और हेल्पलाइन नंबर लिखना अनिवार्य किया जाए। ताकि यात्री बस में सवार यात्रीगण बस की अनियंत्रित रफ्तार, बस की खराब फिटनेस जैसी असुविधाओं की शिकायतें समीपस्थ थाने अथवा आरटीओ और बस संचालक को दे सकें। इस उपाय से तेज रफ्तार के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर कारगर तरीके से नियंत्रण हो सकता है। इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बलवाड़ा से लेकर ग्राम धनगांव तक लगभग 40 किमी सड़क का हिस्सा यातायात की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है और देखा गया है कि अधिकांश दुर्घटनाएं इसी हिस्से में अधिक होती हैं। हाइवे की संकीर्णता, गुणवत्ताविहीन मरम्मत तथा हाइवे की सड़क की असमतल और बुरी तरह क्षतिग्रस्त साइड पटरियां दुर्घटनाओं का बहुत बड़ा कारण हैं। हाइवे की सड़क के अधिकांश हिस्सों पर साइड पटरियां सड़क से 7 या 8 इंच नीचे हैं। इस कारण वाहनों की क्रॉसिंग के दौरान दोपहिया वाहन और चार पहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। हाल ही में 15 जनवरी को ग्राम बागफल के समीप हाइवे पर बस दुर्घटना भी असमतल पटरियों के कारण हुई है। इस दुर्घटना में 3 यात्रियों की दर्दनाक मृत्यु हुई है और 12 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसलिए हाइवे की सड़क के किनारे दोनों ओर 6-6 फीट साइड पटरियों की सुगम यातायात के अनुकूल मरम्मत की जाए और साइड पटरियों को हाइवे की सड़क के साथ समतल किया जाए। हाइवे पर यात्री बसों के संचालन हेतु परमिट जारी करने से पहले बस मालिक का आपराधिक रिकार्ड को ध्यान में रखा जाए।उल्लेखनीय है कि इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर कतिपय बस संचालक दादागिरी कर खतरनाक प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति निर्मित कर रहे हैं। दुर्घटनाओं एक यह भी बड़ा कारण माना जा रहा है। इसलिए बसों के परमिट की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए। पत्र में कहा कि वर्तमान में आरटीओ द्वारा यात्री बसों के फिटनेस की जांच वर्ष में एक बार की जाती है। इस व्यवस्था को बदल कर यात्री बसों की फिटनेस की जांच की अवधि कम से कम 6 माह जरूर की जाए और साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने वाले आरटीओ अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके अलावा हाइवे पर अवैध बस संचालन पर अंकुश लगाया जाए।

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