26 जनवरी को उप मुख्यमंत्री ने अनामिका को किया था सम्मानित
विकास पवार, बड़वाह। आपने हमेशा एक कहावत सुनी होगी की प्यार अंधा होता है। इस कहावत को एक दृष्टिबाधित युवक और युवती ने विवाह कर चरितार्थ कर दिखाया। कोई भी लड़का या लड़की सूरत से नहीं एक दूसरे के दिल से दिल के बीच होने वाले कनेक्शन से एक दूसरे के करीब आते है। ऐसे ही एक प्यार के बंधन में बड़वाह की एरिकेशन कॉलोनी निवासी अनामिका वर्मा और सिवनी मालवा निवासी निलेश राजपूत बंध चुके हैं। जिन्होंने दृष्टिबाधित होने के कारण कभी एक दूसरे का चेहरा तो नहीं देखा, लेकिन संगीत दोनों को करीब लाया और आज वो परिणय सूत्र में बंधकर अपने दाम्पत्य जीवन की शुरुआत कर चुके है। इन दोनों की शादी महेश्वर रोड स्थित उत्सव गार्डन में उत्सवी माहौल के बीच संपन्न हुई। दो दिवसीय शादी में दोनों ने खूब एंजॉय किया। वही दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामकर विवाह में होने वाली सभी रस्मो को बड़ी शिद्दत के साथ निभाया। तो वही पूरे परिवार ने दोनों की आंखे बनकर हर उस क्षण को साक्षी बनाया, जो उनके जीवन के नए पथ की और ले जाएगा। इस शादी में घराती के साथ बराती के रूप में दोनों के दृष्टिबाधित मित्र भी शामिल हुए। इस मौके पर अनामिका के ऑर्केस्ट्रा के सुरीले सदस्यों ने सुमधुर आवाज में गीत गाकर दोनों को इस सुनहरे पलो की बधाई भी दी। अनामिका और निलेश की शादी ने आज उन कई दिव्यांगजन व दृष्टिबाधितों के लिए प्रेरणा दी है। जो शारीरिक कमी के चलते जीवन को जीने के बजाय उसे हार मानकर परिस्थितियों से समझौता कर लेते है। दोनो ने तमाम चुनौतियों के बावजूद अपनी कमी को ताकत बनाते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण कर आत्मनिर्भर बने। दोनों ने जीवन में आगे बढ़ते हुए एक दूसरे को जीवन साथी चुना। आज एक सामान्य जोड़े की तरह दोनों भव्य शादी में परिणय सूत्र में बंधे।
बीमारी में खोई आंखे, मगर हिम्मत नहीं हारी
अनामिका के पिता राधेश्याम व मां धर्मिष्ठा वर्मा ने बताया की छह वर्ष की उम्र में अनामिका की तबियत खराब हुई थी। इस दौरान उसे किसी दवा या बीमारी का ऐसा साइड इफेक्ट हुआ की धीरे-धीरे उसकी दोनो आंखों का विजन चला गया। साल भर तक माता-पिता के तमाम प्रयास और विभिन्न राज्यों के एक दर्जन से भी अधिक डॉक्टर को दिखाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। पूर्णत: दृष्टिबाधित होने पर परिजनों ने अनामिका को पढ़ाने की ठानी। पढ़ लिखकर कुछ बनने का जज्बा अनामिका में पहले से ही था। देवास के दृष्टिबाधित आवासित स्कूल में प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद इंदौर के कॅालेज में संगीत विषय में स्नातक कर मेरिट स्थान प्राप्त किया। अनामिका ने पहले प्रयास में नीट परीक्षा क्वालीफाई की। वर्तमान में वह उज्जैन के शासकीय कन्या महाविद्यालय में संगीत की शिक्षा दे रही है। हाल ही में 26 जनवरी को अनामिका को उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सम्माननीत भी किया है।
संगीत के जरिए बने दोनों एक दूसरे के हमसफर
अनामिका के पिता ने बताया की दामाद निलेश मूलत: सिवनी मालवा के निवासी है। उन्होंने भी संघर्षपूर्ण हालातों में शिक्षा पूर्ण की। वर्तमान में वह खंडवा में सांस्कृतिक विभाग के कॅालेज में संगीत सिखा रहे है। इसके पहले वे इंदौर में रहते थे। इंदौर के एक कार्यक्रम में अनामिका अपने ग्रुप के साथ गाना गा रही थी। तभी अनामिका की सुरीली आवाज को सुन निलेश के मकान मालिक ने उन्हें फोन लगाकर अनामिका के बारे बताया। निलेश की बहन ने उज्जैन आकर अनामिका को देखते ही पसंद कर लिया। इसके बाद दोनों परिवारों ने मुलाकात कर रिश्ता तय कर दिया था। इस तरह संगीत के जरिए दोनों ने एक दूसरे का हमसफर बनना तय किया।
आने वाली पीढ़ी के लिए प्री वेडिंग फोटोशूट भी करवाई
अनामिका की ईच्छा थी कि भले वो एक दूसरे को नहीं देख सकते। लेकिन उनकी शादी से जुड़ी हर यादें वर्षों तक उनके साथ रहे और उनकी आने वाली पीढ़ी भी देखे। यही कारण है कि दो दिवसीय शादी के प्रत्येक पलों के फोटोशूट व वीडियों शूटिंग की गई। इसके साथ ही दोनों ने अपना प्री वेडिंग फोटो शूट भी करवाया था। अनामिका की माता धर्मिष्ठा ने बताया कि अनामिका की शादी के लिए सामान्य लड़कों के रिश्ते भी आएं। लेकिन उसने मना कर दिया। अनामिका के मुताबिक उसकी फीलिंग्स को एक नेत्रहीन लड़का ही समझ पाएगा। साथ ही दोनों म्यूजिक फील्ड होने के साथ निलेश का शांत स्वभाव, अच्छाई उन्हें भा गई। वे उनके गुरू, मित्र और अब पति बन गए है। उन्होंने उन लोगों से अपील की है जो अपनी शारीरिक या आर्थिक कमी के कारण गलत रास्ते पर चले जाते है। उन्होंने कहा कि हिम्मत न हारते हुए अपने लक्ष्य पर डटे रहे। परिस्थितियां एक दिन आपके अनुकूल जरूर होंगी।
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