हरदा में औद्योगिक निवेश की नहीं हुई कभी ठोस पहल

schol-ad-1

अपार संभावनाओं से अटा पड़ा है जिला, मुख्यमंत्री की घोषणा पर भी नहीं हुआ अमल

 

आज मध्यप्रदेश सरकार औद्योगिक निवेश को लेकर संभागीय इन्वेस्टर समिटों के बाद राजधानी भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट आयोजित करने जा रही है। प्रदेश के मुखिया अपनी प्रशासनिक टीम के साथ विदेशी भूमि पर मध्यप्रदेश के लिए निवेश संभावना तलाशने जुटे हुए है। ऐसी स्थिति में देश के सर्वाधिक कृषि उत्पाद वाले हरदा जिले को भी अपनी नई पहचान स्थापित करने औद्योगिक ईकाईयों की स्थापना की दरकार करना लाजमी है। लेकिन इस जिले में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव चलते आज तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। अपार संभावनाओं और मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद १७ वर्ष पश्चात भी मुख्यमंत्री की फुटपार्क वुडपार्क जैसी घोषणा तक पर अमल नहीं हो पाया। भोपाल में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के लिए अभी तक हरदा जिले से किसी भी औद्योगिक इकाई द्वारा पंजीयन तक नहीं कराया गया है।

 

 

अनोखा तीर, हरदा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों चार दिवसीय जापान यात्रा पर गए हुए है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के साथ मुख्यमंत्री यहां विभिन्न उद्योगपतियों से चर्चा कर उन्हें मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए आमंत्रित करने का प्रयास कर रहे है। आगामी २४-२५ फरवरी को भोपाल में आयोजित होने वाले मध्यप्रदेश की ८ वीं इन्वेस्टर मीट में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं शामिल होंगे। इस मेगा मीट से पहले प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों पर इन्वेस्ट मीट का आयोजन किया जा चुका है। कुल मिलाकर देखा जाए तो मध्यप्रदेश की समूची सरकार इन दिनों मध्यप्रदेश को औद्योगिक हब बनाने के उद्देश्य से देश और विदेश के उद्योगपतियों को मध्यप्रदेश की भूमि पर औद्योगिक निवेश करने के लिए तमाम सुविधाओं के साथ आमंत्रित करने में जुटी हुई है। प्रदेश की आर्थिक उन्नति और रोजगार की दृष्टि से नि:संदेह यह सरकार की एक अच्छी पहल मानी जा सकती है। लेकिन इस सबके बीच देश और प्रदेश का ह्रदय जिला कहलाने वाला हरदा आज भी औद्योगिक इकाईयों की स्थापना को लेकर मुंह ताकते ही नजर आता है। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के अनुसार औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के लिए पर्याप्त बिजली, पानी और परिवहन सुविधा मुख्य आवश्यकताएं होती है। इस दृष्टि से हरदा जिला इन तीनों अर्हताओं को पूरा करता है। नर्मदा का तटवर्तीय जिला होने तथा तवा नहर परियोजना का कमाण्ड क्षेत्र होने के कारण यहां का भूजल स्तर भी ऊपर है और पानी की पर्याप्त उपलब्धता भी है। इंदिरा सागर बांध परियोजना का सीमावर्ती जिला होने के कारण तथा विद्युत विभाग का वृत्त कार्यालय स्थापित होने से यहां विद्युत आपूर्ति जैसे भी कोई समस्या नहीं है। इंदौर-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग तथा दिल्ली-मुंबई मध्य रेल्वे पर स्थापित होने के कारण समुचित यातायात  परिवहन सुविधा भी उपलब्ध है। इतना ही नहीं बल्कि कृषि उत्पाद के क्षेत्र में हरदा जिला देश के सर्वाधिक उत्पादक जिलों की सूची में अपना स्थान बना चुका है। वहीं वन संपदा की दृष्टि से इस क्षेत्र का सागौन विश्व के सर्वश्रेष्ठ सागौनों में शामिल है। इसी तरह यहां के वनांचलों में प्राकृतिक खेती के तहत उत्पादित श्रीअन्न, वनों में विभिन्न प्रकार की वन औषधी एवं आधुनिक उन्नत कृषि के चलते विभिन्न तरीके की औषधियों का भी  प्रचुर मात्रा में उत्पादन किया जाता है। इन सबको देखते हुए यहां विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाईयों के लिए कच्चा माल भरपूर मात्रा में आसानी से उपलब्ध हो सकता है। बस आवश्यकता है तो केवल दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ देश और विदेश के औद्योगिक निवेशकों को हरदा की भूमि पर आमंत्रित कर उन्हें यहां की खूबियों से अवगत कराने की। जिसका अभाव जिले की जनता हमेशा ही महसूस करती आई है।

औद्योगिक इकाईयों के लिए उपलब्ध है भूमि
औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के लिए यहां शासकीय भूमि का अभाव भी नहीं है। जिले में जहां हजारों एकड़ शासकीय भूमि प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव में अतिक्रमण की चपेट में है तो वहीं औद्योगिक क्षेत्र स्थापना के लिए जिले के विरान ग्राम सुल्तानपुर में ही रिक्त भूमि मौजूद है। जिले के तात्कालीन कलेक्टर ऋषि गर्ग ने वर्षों से लंबित प्रकरण का निराकरण करते हुए ३१.४५३ हेक्टेयर भूमि निवेश प्रोत्साहन हेतु आरक्षित कर दी थी। इंदिरा सागर बांध परियोजना दौरान नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को पुनर्वास हेतु आवंटित भूमि उपयोग में नहीं आने के कारण कलेक्टर श्री गर्ग ने १ अप्रैल २०२४ को राप्र क्रमांक ५/अ-२० (३) की सुनवाई पूरी करते हुए मध्यप्रदेश नजूल परिवर्तन निर्देश २०२० के अध्याय २ के प्रावधानों अनुसार औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग मध्यप्रदेश शासन के नाम करने के आदेश पारित कर दिए थे। यह भूमि पूर्ण रुप से औद्योगिक निवेश के लिए सुरक्षित है। इसी तरह जिले में और भी ऐसी अनेक शासकीय भूमियां उपलब्ध है जिसे अगर जिला प्रशासन चाहे तो अतिक्रमण से मुक्त कराकर औद्योगिक निवेश के लिए उपलब्ध करा सकता है।

खोखली साबित हुई मुख्यमंत्री की घोषणा
वर्षों से औद्योगिक इकाईयों की स्थापना का सपना संजोए बैठे हरदा जिले के लोग उस समय फूले नहीं समा रहे थे जब तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां फूटपार्क और वुडपार्क स्थापना की घोषणा की थी। जी हां, ४ जनवरी 2008 को अर्थात् 17 वर्ष पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरदा जिले के सिराली आगमन पर सुल्तानपुर में नवीन औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा क्रमांक ३६०३ की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय से हरदा जिले में फुटपार्क वुडपार्क स्थापना को लेकर बकायदा नोटशीट भी चली। लेकिन यह नोटशीट मध्यप्रदेश इंडस्ट्रीयल डेव्लपमेंट कार्पोरेशन की लाल फाईल में जाकर कैद हो गई। स्थानीय मीडिया द्वारा इस विषय को कई बार प्रमुखता से उठाया जाता रहा। यहां तक की स्वयं शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमण्डल में हरदा के विधायक और भाजपा के कद्दावर नेता कमल पटेल बतौर कृषि मंत्री बनाए गए। इस दौरान फिर हरदा की जनता को उम्मीद की किरण जागी थी कि कृषि प्रधान जिले के विधायक जब प्रदेश के कृषि मंत्री बन गए है तो निश्चित ही यहां कृषि आधारित उद्योग की स्थापना होगी। वहीं मुख्यमंत्री की वर्षों पुरानी घोषणा पर भी अब अमल हो जाएगा। लेकिन यह क्षेत्र की जनता का दिवास्वप्न ही साबित हुआ। आज जब पूरी मध्यप्रदेश सरकार इन्वेस्टर मीटों के माध्यम से देश विदेश के उद्योगपतियों को आमंत्रित करने में जुटी हुई तो हरदा फिर ललचाई नजरों से उसकी ओर देख रहा है। क्या तमाम संभावनाओं के बावजूद हरदा पहले की भांति ही आज भी स्वयं को औद्योगिक निवेश के क्षेत्र में ठगा महसूस करेगा या अब उसके सपने साकार होने का समय आ गया है?

Views Today: 2

Total Views: 328

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!