प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जो वैष्णव धर्म ना छोड़े वही विभीषण

 

अनोखा तीर, हरदा। पंच दिवसीय मानस पंचामृत, विचार यज्ञ के प्रथम दिवस पं. श्याम मनावत ने व्याख्यान के केन्द्र में विभीषण को रखकर कहा कि उनके समान विपरीत जीवन परिस्थिति किसकी होगी, फिर भी उन्होंने अपने वैष्णव धर्म का परि- त्याग नहीं किया। विभीषण जीक का जीवन बाहर एवं भीतर एक समान था। प्रयास रोगी सहायता संस्था धारा आयोजित यह कार्यक्रम 9 जनवरी तक जीपी माल के बाजू में चलेगा। व्याख्यान से पूर्व संस्था का संक्षिप्त परिचय प्रदीप अग्रवाल ने दिया। नीलेश बंसल ने रामायण एवं व्यासजी का पूजन किया। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य बृजेन्द्र शर्मा ने दिया।

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