राजकुमार के सामने विश्वास कायम रखने की चुनौती
गजेन्द्र खंडेलवाल (सोनू) भैरुंदा (नसरुल्लागंज)। आगामी 13 नवंबर को होने वाले बुधनी विधानसभा के विधायक के फैसले के पूर्व विधानसभा में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है। पांच दिवसीय दीपावली के त्यौहार का समापन आज रविवार को भाई दूज के साथ होगा। इसके बाद गुलाबी ठंड में राजनीति की गर्मी जोर पकड़ेगी। 24 एवं 25 अक्टूबर को दोनों ही दलों के प्रत्याशियों के द्वारा कद्द्दार नेताओं की मौजूदगी में नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने के बाद गांव-गांव मतदाताओं से संपर्क का सिलसिला तेज हो गया है। दीपावली का त्यौहार होने के चलते तीन दिनों तक प्रचार की गर्मी से राहत थी। लेकिन आज से चुनाव प्रचार तेजी के साथ शुरू हो जाएगा। मध्य प्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। लेकिन बुधनी विधानसभा सीट पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिए जाने के बाद यहां पर उप चुनाव की नौबत बनी है। बुधनी में होने वाले चुनाव को लेकर माना जा रहा है कि यहां पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीते वर्ष 2023 में चुनाव भाजपा के द्वारा यहां पर 106000 मतों के लंबे अंतर से जीता था। जो इस विधानसभा की जीत का अभी तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। 2006 में हुए उपचुनाव सहित 2008, 2013, 2018 के चुनावों में शिवराज सिंह की जीत अंतर लगातार बड़ा हैं। इस उप चुनाव में जीत के इसी अंतर को कायम रखना व इससे अधिक मतों से भाजपा प्रत्याशी को विजय दिलाने की चुनौती बनी शिवराज के सामने हैं। वर्ष 1990 से वह लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस दौरान छह बार विधायक, तीन बार सांसद भी रह चुके हैं।
बुधनी में भाजपा व प्रत्याशी शिवराज के चेहरे पर निर्भर
बुधनी में होने वाले उपचुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया हो। लेकिन यहां की परिस्थितयां जो बयां कर रही हैं, उससे ऐसा लग रहा हैं कि रमाकांत भार्गव केवल नाम के प्रत्याशी हैं। उप चुनाव मे पार्टी व प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही निर्भर है। बिना शिवराज के भाजपा प्रत्याशी का कोई वजूद देखने को नहीं मिल रहा। इसी का कारण है कि केंद्रीय मंत्री लगातार बुधनी विधानसभा के भाजपा कार्यकर्ताओं एवं कई वरिष्ठ लोगों के संपर्क में बने हुए हैं। उनके द्वारा पिछले दिनों भोपाल स्थित मामा निवास पर बैठके आयोजित कर चुनाव की रणनीति तैयार की है। यहां पर भाजपा पूरी तरह शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। उसके पीछे बड़ा कारण भाजपा प्रत्याशी का जनता के बीच कोई जनाधार नहीं होना है। स्थिति यह है कि भाजपा नेता व कार्यकर्ता बीते 18 वर्षों के विकास की गाथा बताकर मतदाताओं के बीच पहुंचकर भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे हैं। स्वयं रामाकांत भार्गव भी शिवराज के दमखम पर ही मैदान में दिखाई दे रहे हैं। आम मतदाता व भाजपा कार्यकर्ता भी भाजपा प्रत्याशी के बीते 5 वर्षों के संसदीय कार्यकाल को याद कर भाजपा प्रत्याशी के नाम को पीछे रख शिवराज सिंह चौहान के नाम पर मतदाताओं के बीच पहुंचकर वोट मांग रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी के सामने जनता के विश्वास पर खरा उतरने की बड़ी चुनौती
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर राजकुमार पटेल का बी फॉर्म नाम निर्देशन पत्र के साथ समय पर जमा नहीं होने स्थिति में खारिज कर दिया गया था। जिसके चलते पटेल को कांग्रेस पार्टी से निष्कासन का सामना भी करना पड़ा है। इस बार कांग्रेस ने दूसरी बार विधानसभा चुनाव में पटेल पर भरोसा जताया है। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भोजपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रहते वह चुनाव हार चुके हैं। लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर राजकुमार पटेल पर बुधनी से अपना दांव खेला है। अब कांग्रेस प्रत्याशी के सामने जनता के विश्वास पर खडा उतरने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। राजनीतिक चर्चा परिचर्चा में कई बार पटेल पर सांठगांठ के आरोप भी लगते रहे हैं। वही यह चर्चा भी लगातार आम है कि बुधनी विधानसभा में यदि एक विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो उसके अतिरिक्त कभी भी दो किरारों का आमना सामना एक साथ नहीं हुआ है। हालांकि कांग्रेस के राजकुमार पटेल की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है। जनता के भरोसे को कायम रखना और अपनी बात उन तक पहुंचाने के लिए पटेल को इस चुनाव में मशक्कत भी करना पड़ रही है।