समिति में डीएपी गायब-एनपीके डालने की मजबूरी, बाजार पर निर्भर हुए किसान

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अनोखा तीर, मसनगांव। रबी फसल बुवाई का सीजन आते ही, किसान उर्वरक की तलाश में भटकने लगे हैं। उनकी पहली पसंद डीएपी खाद बना हुआ है, जो समिति और बाजार में उपलब्ध नहीं है ऐसे में एनपी खरीदने की मजबूर बनी हुई हैं, वह भी समिति में नहीं होने से बाजार के ऊपर निर्भर है। पिछले कुछ सालो से डीएपी तथा यूरिया दोनों की ही कमी होने से है किसान खाद का अग्रिम भंडारण कर लेते थे, लेकिन इस साल समिति में डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाया, जिससे अधिकांश किसान खाद उठाने से वंचित रह गए। बोनी का समय नजदीक होने से सभी किसान डीएपी की तलाश कर रहे हैं, जो उपलब्ध नहीं हो रहा है। जबकि प्रतिवर्ष समिति में मांग के अनुसार खाद आने से किसानों को देर सवेर खाद उपलब्ध हो जाता था, परंतु इस बार स्थिति उलट बनी हुई है, जहां किसान खाद की मांग कर रहा है। वहीं समिति में खाद नहीं होने के कारण किसान खाली हाथ वापस लौट रहे है। बताया जाता है कि डीएपी खाद में जी केमिकल का उपयोग होता है वह महंगा होने से अधिकांश कंपनियों ने इस साल हाथ खींच लिए हैं, इसलिए डीएपी की कमी बनी हुई है उसकी जगह एनपीके डालने की सलाह दी जा रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि डीएपी डालने से फसल का उत्पादन अच्छा निकलता है इसलिए किसान पहली प्राथमिकता देते है।सुरेन्द्र पाटिल ने बताया कि डीएपी की बोरी का मूल्य वैसे 2750 रुपए के करीब आता है, जिस पर शासन के द्वारा सब्सिडी दी जाती है तो यह 1350 रुपए के आसपास पड़ता है, वहीं एनपी 1470 रुपए करीब की बोरी आती है। डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में कृषकों को एनपीके डालने की सलाह दी जा रही है। कृषि वैज्ञानिक संध्या मुरे ने बताया कि एनपीके कॉम्प्लेक्स सर्वोत्तम उर्वरक है, क्योकि इसमें 13 प्रतिशत सल्फर विद्यमान है, दलहन उत्पादन के लिए सल्फर की प्रोटीन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अत: नत्रजन एवं फास्फोरस के साथ-साथ सल्फर भी फसल को प्राप्त होता है, जबकि डीएपी उर्वरक में नत्रजन एवं फास्फोरस ही प्राप्त हो पाता है, इसीलिए डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में एनपीके. कॉम्प्लेक्स को अपनाना चाहिए, इसी प्रकार गेहूं बोने वाले कृषको के लिए एनपीके सर्वोत्तम उर्वरक है, क्योकि इसमें नत्रजन एवं फास्फोरस के अतिरिक्त 16 प्रतिशत पोटाश विद्यमान रहता है, जो कि गेहूं के पौधों को दृढ़ता प्रदान करता है तथा इससे दाना चमकदार एवं बोल्ड बनता है, इसीलिए डी.ए.पी. उर्वरक में नत्रजन एवं फास्फोरस ही प्राप्त हो पाता है, इसीलिए डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में एनपीके कॉम्प्लेक्स का उपयोग फसलों में प्रयोग करना चाहिए।

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