– पहले दिन ही पर्यटकों को हुआ बाघ का दीदार, पर्यटक हुए रोमांचित
अनोखा तीर, सोहागपुर। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिए मंगलवार से खुल गए। पर्यटकों का स्वागत तिलक फूल माला पहनाकर, तिलक लगाकर और तुलसी का पौधा देकर किया गया। जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। इसके बाद के अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर मढ़ई में जिप्सी का प्रवेश कराया। जंगल सफारी में घूमने के लिए 80 प्रतिशत बुकिंग हो गई थी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के गेट बारिश शुरू होते ही 30 जून में बंद हो गए थे। तब से आम लोगों के लिए पार्क के अंदर जाने पर रोक लगी थी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मढ़ई के प्रवेश द्वार खुलते ही पहले दिन ही पर्यटकों को सफारी के दौरान कुछ ही दूर जाकर एक बाघ दिखाई दिया जो कि जिप्सी के रास्ते पर चल रहा था। जिसे देखकर पर्यटक रोमांचित हुए। बाघ अचानक झाड़ियां से निकलकर जिप्सी वाले रास्ते पर आ गया, जिसके चलते वाहन चालकों ने अपनी जिप्सी को रिवर्स गियर में चलाया, काफी देर जिप्सी के सामने चलने के बाद बाघ झाड़ियों में ओझल हो गया। जिसका वीडियो जिप्सी में सवार पर्यटकों ने बनाया। पत्रकारों से बात करते हुए भोपाल, इंदौर से आए पर्यटक बहुत खुश नजर आए। मंगलवार को 3 पर्यटकों का जन्मदिन भी था उन्होंने कहा कि उन्हें जन्मदिन पर तोहफा मिला है। वहीं कुछ पर्यटकों का कहना था 3 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ हो रही है ऐसे में उन्हें बाघ दिखना शुभ संकेत है। सभी महिला-पुरुष पर्यटक बहुत खुश नजर आए। बाघ के साथ ही तेंदुआ और अन्य वन्य प्राणियों के दीदार भी पर्यटकों द्वारा किए गए।

प्राकृतिक सौन्दर्यता बनाती है मढ़ई और चूरना को खास
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले ने बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मढ़ई जंगली जानवरों के अलावा यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता अन्य टाइगर रिजर्व से इसे अलग बनाती है। यहां पर जंगल सफारी के दौरान विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां औषधीय और प्राकृतिक वातावरण देखने को मिलता है जो कि पर्यटकों के लिए बहुत सुखद पल होता है। टाइगर रिजर्व में सैकड़ों बारहसिंगा एसटीआर की हरियाली और प्राकृतिक संपदा के साथ वन्यप्राणियों के लिए भी बहुत अनुकूल है। यहां बाघ-बाघिन की संख्या 64 के आसपास है। एसटीआर में मढ़ई और चूरना सबसे खास पाइंट है। चूरना में एरिया समतल ज्यादा है, इसलिए जानवर यहां आसानी से ये दिख जाते हैं। मढ़ई में पहाड़ी एरिया ज्यादा है, इसलिए चूरना के तुलना में कुछ देरी से बाघ-बाघिन दिखते हैं। यहां अन्य वन्यप्राणी बायसन, बारहिसंगा, तेंदूए आदि आसानी से दिख जाते हैं। यहां तेदुएं भी बड़ी संख्या में है। बायसन तो इतने हैं कि यहां से कान्हा भेजे गए हैं। अब जून 2025 तक यहां पर्यटक आकर जंगल सफारी कर सकते हैं।
नहीं बढ़ेगा बोट और जिप्सियों का किराया
एसटीआर की डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले ने बताया कि प्रबंधन ने किराया नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसलिए हम पुराने रेट पर ही इस पूरे सीजन में सफारी कराएंगे। सोलर वोट का किराया भी नहीं बढ़ेगा। यह वोट मढ़ई में रहेगी, मढ़ई में एंट्री के लिए 50 रुपए और ज्यादा घूमने के लिए 250 रुपए ही लगेंगे। पहले दिन मढ़ई की 15 जिप्सियां बुक हुई हैं। चूरना में भी 15 से ज्यादा जिप्सियां पहले दिन के लिए बुक हुई। पहले घूमने के लिए कैरिया और लगदा राउंड होता था, इस नए सत्र में दोनों को मिलाकर एक ही राउंड बना दिया गया है पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार घूम सकते हैं।
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