अनोखा तीर, हरदा। आज पुरे प्रदेश में किसान अपनी सोयाबीन, मक्का, धान की उपज का दाम वाजिब मिले इसके लिए गांधीवादी तरीके से आंदोलनकर रहा हैं, लेकिन भाजपा सरकार आए दिन किसानों के साथ छलावा कर रही है। ज़ब सरकार ने देखा कि किसानो का आंदोलन पूरे प्रदेश में बड़ा रूप ले रहा है तो सरकार ने किसानों को गुमराह करने के लिए सोयाबीन को समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की घोषणा कर दी, ताकि किसानो का आंदोलन कमजोर हो जाए। लेकिन किसानों को 4892 रुपए प्रति क्विंटल का भाव जो सोयाबीन का समर्थन मूल्य है इसमें किसानों की लागत निकलना भी मुश्किल है। भाजपा सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की बात कही थी, लेकिन आय तो नहीं बड़ी, लागत जरूर चार गुना बड़ गई है। सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी का जो आदेश निकाला है उसमें एफएक्यू का कोई मापदंड नहीं दिया गया है। सरकार को मापदंड स्पष्ट करना चाहिए था जैसे ही खरीदी का आदेश हुआ और मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पो. फिल्ड स्टाप एम्प्लाईज एसोसिएशन ने एक पत्र जारी कर दिया कि सोयाबीन में घटत ज्यादा होती है इसलिए उनको भंडार में दिक्क़त आएगी, इसका मतलब वेयर हाउस वालों को लूटने की छूट दी जाए। इसका सीधा मतलब है गांव बसा ही नहीं और आग लगाने वाले तैयार हो गए। किसानों को अब और जागरूक होने की जरुरत है हमें आंदोलन को गांव गांव और मजबूत करना चाहिए। अब हमें गांव-गांव धरने शुरू करना चाहिए। सरकार केवल गुमराह कर रही है। समर्थन मूल्य पर खरीदी भी 25 अक्टूबर से करने के आदेश है, तब तक किसानों की 40 प्रतिशत मक्का की बोनी हो जाएगी। किसानों को तत्काल खाद बीज के लिए पैसा चाहिए। ऐसे में किसान मंडियो में ओने पौने दाम पर सोयबीन बेचने को मजबूर होगा। ऊपर से दो दिन से भारी बारिश हो रही है। किसानों की सोयाबीन कटी हुई पड़ी है वो खराब हो रही है। सरकार को किसानों से पूरी सोयाबीन समर्थन मूल्य पार खरीदना चाहिए। भाव सोयाबीन का 6 हजार होना चाहिए, नहीं तो अब आंदोलन उग्र होगा।
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