आरोपी ने अप्राकृतिक कृत्य कर की थी बालिका की हत्या
रितेश साहू, सोहागपुर। न्यायालय ने इतिहास में पहली बार एक 6 वर्ष की नाबालिक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले 22 वर्षीय आरोपी को मौत की सजा सुनाई है। बुधवार को न्यायालय ने सजा सुनाते हुए रामायण की चौपाइयों का भी जिक्र करते हुए बताया कि जब-जब समाज में अपराध अपनी सीमा पार करेगा, तब तबन्यायालय को इस प्रकार के कठोर फैसला सुनाने पड़ेंगे। ताकि समाज में अपराध करने पर कठोर सजा मिलने का भय व्याप्त रहे। लोक अभियोजन अधिकारी शंकर लाल मालवीय ने जानकारी देते हुए बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार चौबे द्वारा आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरुषोत्तम माछिया उम्र 22 वर्ष, सोहागपुर, जिला नर्मदापुरम को आईपीसी की धारा 302 में मृत्युदंड, धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम में मृत्युदंड, धारा 377 भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 450 भादवि में 7 वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 201 भादवि में 7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 5 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया गया। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 25 दिसंबर 2021 को करीब सुबह 8 बजे नाबालिग बच्ची के पिता काम करने चले गये थे, जब शाम को पिता घट आये तो नाबालिग बच्ची की मां ने बताया कि बच्ची दोपहर 2 बजे से घर में नहीं आई है, तभी से घर के सभी लोग उसे ढूूंढ रहे हैं। लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल पा रहा है। इसके बाद बच्ची के पिता, अपने साले (बच्ची के मामा) के साथ पुलिस चौकी शोभापुर में रिपोर्ट करने के लिए गए। चौकी पुलिस परिजनों के साथ आई और मिलकर घर के आस-पास ढूंढा। जब पुलिस और सभी लोग छत पर गये और ढूंढा, तो नाबालिग बच्ची छत पर रखे पुराने कपड़ों के नीचे ढकी हुई मिली। पुलिस द्वारा संपूर्ण जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि घटना के समय घटना स्थल पर किसी अज्ञात आरोपी द्वारा नाबालिग बच्ची के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने के बाद गला घोंटकर हत्या की गई है। पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध धारा-302, 376एबी, 377, 450, 201 भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-5/6 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया। पुलिस द्वारा मामले की बारीकी से जांच करने पर पाया गया कि नाबालिक बालिका के रिश्ते में लगने वाले भाई ने ही उक्त घटना को अंजाम दिया है। इसके बाद संपूर्ण विवेचना के बाद पुलिस ने न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया और आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरूषोत्तम माछिया को मृत्युदंड से दंडित किया गया। न्यायालय द्वारा प्रतिक्रिया दी गयी कि हर एक निश्चिल, निर्दोष मासूम, अबोध बालिका का बलात्कार स्वयं ही विरलतम से विरलतम घटना है और बलात्कार सहित हत्या का मामला जो किसी भी दृष्टि से सामान्य नहीं माना जा सकता। न्यायालय द्वारा रामचरित मानस की चौपाई के माध्मय से भी बताने का प्रयास किया गया। जिसमें न्यायालय ने बताया कि
अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनू सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई।।
न्यायालय में पूरे मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी बाबूलाल काकोड़िया, अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय के द्वारा की गई। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत लिखित, मौखिक, दस्तावेजी सबूतों एवं तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरूषोत्तम माछिया को मृत्युदंड से दंडित किया।
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