अनोखा तीर, बैतूल। जिला अस्पताल में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना घटित हुई है। रात्रि 2 बजे प्रसूता और नवजात शिशु को एम्बुलेंस चालक सड़क पर ही छोड़कर भाग खड़ा हुआ, तो वहीं अस्पताल के गार्ड और वार्ड बाय सोते रहे। करीब आधे घंटे प्रसूता और शिशु सड़क पर पड़े रहे। इसके बाद लोग उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे। दरअसल चिचोली से एक नवजात और प्रसूता मीना पति विजय सुरजाय निवासी माडंवदा चिरापाटला को बैतूल जिला चिकित्सालय रेफर किया था। रात 2 बजे बैतूल जिला चिकित्सालय पहुंचा एम्बुलेंस चालक प्रसूता और नवजात शिशु को सड़क पर ही छोड़कर भाग खड़ा हुआ। बताया जा रहा है कि प्रसूता की हालत गंभीर होने के बावजूद वह सड़क पर पड़ी रही। वहीं नवजात बच्चा भी तड़पता रहा, पर किसी भी अस्पताल स्टाफ या सिक्योरिटी गार्ड की निगाह उन पर नहीं पड़ी। लोगों की नजर पड़ी तो उन्होंने प्रसूता को बमुश्किल उठाकर वार्ड में लेकर पहुंचे और शिशु को एसएनसीयू में भर्ती किया गया। शिशु और प्रसूता दोनों का उपचार चल रहा है।
सवाल यह उठता है कि बैतूल जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं आखिर कब सुधरेगी। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने सख्त निर्देश दिए हुए हैं, उसके बावजूद भी बैतूल जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैं। हालांकि जब यह खबर कलेक्टर को लगी तो उन्होंने जांच की आदेश दिए हैं। जिले भर से आने वाली प्रसूता जब एंबुलेंस से आती हंै तो उन्हें ट्रामा सेंटर पर उतारने तक के लिए कोई प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद नहीं रहता। मजबूरी में परिजनों को ही गर्भवती महिला को अपनी सुविधा के अनुसार दूसरे फ्लोर पर ले जाना पड़ता है। बैतूल जिला चिकित्सालय में इन कामों के लिए अच्छी खासी संख्या में वार्ड बॉय और आया रखी है, लेकिन यह सब केवल वेतन लेने तक ही सीमित हैं। बैतूल जिला चिकित्सालय में सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था की गई है, परंतु जैसे ही रात होती है सिक्योरिटी गार्ड बिस्तर लगाकर सोते हैं। जिला चिकित्सालय प्रांगण में या जिला चिकित्सालय भवन में क्या हो रहा है, उन्हें उससे कोई मतलब नहीं। इन सब व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए बैतूल जिला चिकित्सालय के अधिकारियों को मजबूत होना जरूरी है। अन्यथा बैतूल जिला चिकित्सालय में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना आए दिन घटती ही रहेगी।