भैरुंदा (नसरुल्लागंज)- पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा इस समय तेजी से छाया हुआ है। इस वर्ष जून माह के दूसरे पखवाड़े में पढ़ रही तेज गर्मी ने सरकार के पर्यावरण संरक्षण और वनों को कटने से बचने के दावों की पोल खोल दी है। केवल कागजों में पर्यावरण का संरक्षण नजर आ रहा है। जमीन पर वनों का विनाश तेजी के साथ होता हुआ देखा जा सकता है। साल दर साल तापमान में होती बेतहासा वृद्धि वनों के उजड़ने का सबसे बड़ा कारण है। लेकिन भाजपा सरकार तो कागजों में दिखावे पर ही विश्वास करती है। उसे प्रकृति के संरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है। यदि इसी तरह वनों का विनाश होता रहा और कागजों में ही पौधारोपण चलता रहा तो आने वाले समय में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना भी हमें करना पड़ सकता है। उक्त आरोप कांग्रेस के नेता एवं बुदनी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे विक्रम मस्ताल शर्मा ने प्रदेश की भाजपा सरकार एवं वन विभाग व वन विकास निगम के अधिकारियों पर लगाया हैं। विक्रम शर्मा ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन केवल दिखावे तक ही कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जंगलों का अंधाधुंध दोहन इसका ताजा उदाहरण है। बुधनी विधानसभा क्षेत्र में वन संपदा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने का काम भाजपा की सरकार में हुआ है। यह विधानसभा क्षेत्र वनों के लिए पहचाना जाता था। बुधनी, शाहगंज, जोशीपुर,बांटा,सलकनपुर, रैहटी, चकल्दी, आमझिरी, चतरकोटा कोठरा, ढाबा, बनियागांव लावापानी,सेमलपानी, भैसांन अमीरगंज ,सिराली, लोहपठार, सुराई, खापा, पाटतलाई, कांकरिया, महादेव बेदरा, बीलपाटी भिलाई, मोगराखेड़ा, सिराली, सिंहपुर, लाड़कुई, निमोटा सहित गोपालपुर के आसपास वनों का अटूट समूह देखने को मिलता था। लेकिन अब यहां पर सपाट खेत के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। स्थिति यह है कि सरकार जितने पेड़ लगाने का दावा करती है उसे चार गुना पेड़ तो कट जाते हैं। जितने पेड़ लगाते हैं उनमें से 50% से अधिक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। लेकिन सरकार वनों का संरक्षण करने वाले उनके ही नुमाइंदो पर कार्रवाई करने से कतराती है। क्षेत्र में किस तरह से वन संपदा का दोहन अधिकारियों के संरक्षण में किया गया है यह लगातार मीडिया उजागर कर रही है। चारों तरफ भ्रष्टाचार, वन माफियाओं का बोल वाला पूरे बुधनी विधानसभा क्षेत्र में बना हुआ है। आखिर सरकार इस मामले में कार्रवाई करने से क्यों कतरा रही है। यदि वन विभाग के बड़े अधिकारी व्यापक स्तर पर सूक्ष्म तरीके से जांच करें तो वन विभाग एवं वन विकास निगम में एक बड़ा घोटाला भी वनों के संरक्षण के नाम पर उजागर हो सकता है। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा के नेता ही ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। वनों को पूरी तरह से बचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन चुकी है। और कांग्रेस पार्टी इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। यदि वनों का दोहन करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों एवं वन माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो वन संरक्षण के लिए कांग्रेस अपना एक अभियान चलाते हुए सरकार की ईंट से ईंट बजायेगी।