एमपी पुलिस 1 जुलाई से बदली-बदली नजर आएगी पुलिस, 24 हजार टैबलेट खरीदने की तैयारी
देश में 1 जुलाई 2024 से IPC, CRPC और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम निष्प्रभावी हो जाएंगे। उनके स्थान पर नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएंगे। इसके तहत पुलिस कार्यप्रणाली को भी अपडेट किया जा रहा है।
अनोखा तीर भोपाल- प्रदेश पुलिस 1 जुलाई से बदली- बदली नजर आएगी। पुराने कानूनों में संशोधन कर केंद्र द्वारा बनाए गए 3 नए कानून एक जुलाई से प्रदेश में भी लागू हो जाएंगे। इन कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि पुलिस का अधिकतर काम डिजिटल होने जा रहा है। साक्ष्य संकलन के लिए हर घटना की वीडियो रिकार्डिंग करनी होगी। यहां तक कि पुलिस आरोपी या शिकायतकर्ता के यहां जाती है तो उसकी भी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। इसके लिए हर जांच अधिकारी को टैबलेट दिए जाएंगे।
24 हजार टैबलेट की खरीदारी
पुलिस मुख्यालय 24 हजार टैबलेट की खरीदारी करने जा रहा है। अभी आवश्यकता होने पर पुलिसकर्मियों को अपने मोबाइल से वीडियो बनाना पड़ता है, लेकिन कानून में प्रावधान नहीं होने के कारण इस तरह के कई साक्ष्य न्यायालय में मान्य नहीं किए जाते थे। बदलाव के अनुरूप क्राइम और क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) में परिवर्तन किया जा रहा है, जिससे FIR दर्ज करने में कोई दिक्कत नहीं आए।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि जांच अधिकारी इन कानूनों के बारे में अच्छे से समझ सकें, इसके लिए सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की पुस्तिका तैयार कर जांच अधिकारियों को दी गई है। सभी जिलों में इसके लिए मुख्य प्रशिक्षकों को चिह्नित कर पुलिस मुख्यालय ने ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया था। इसके बाद जिला स्तर पर जांच अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें बताया जा रहा है कि FIR से लेकर जांच और चालान प्रस्तुत करने तक किन-किन बिंदुओं का ध्यान रखना है।
ये हैं नए कानून
1 जुलाई 2024 से ब्रिटिश काल से लागू भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम निष्प्रभावी हो जाएंगे। उनकी जगह नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किए जा रहे हैं। IPC की 511 धाराओं की जगह बीएनएस में 358 धाराएं होंगी। बीएनएसएस में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदलने के साथ ही 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इसमें अब कुल 531 धाराएं होंगी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 166 की जगह 170 धाराएं होंगी। इसी में साक्ष्य संकलन के नए तरीकों को भी जोड़ा गया है।