अनोखा तीर, ओंकारेश्वर। ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थान ओंकारेश्वर के निकट ग्राम थापना रविवार से पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा प्रारंभ हुई। कथा के प्रारंभ में मांधाता विधायक नारायण पटेल, बड़वाह विधायक सचिन बिरला सहित तमाम नेताओं ने मंच पर पंडित प्रदीप मिश्रा की अगवानी कर स्वागत किया। एक रोटी बाबा आश्रम के प्रमुख स्वामी शिवोहम भारतीय भी इस अवसर पर मंच पर पहुंचे और प्रदीप मिश्रा का पुष्पहार साल श्रीफल से अभिनंदन किया। इसके पश्चात पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा प्रारंभ की गई। कथा श्रवण हेतु दो दिवस पूर्व ही सुदूरवर्ती प्रांतों के शिव भक्त कथा स्थल पर जुटने लगे थे। शनिवार की रात्रि ही पांडाल भक्तों से खचाखच भर गया था। बाबा ओंकारनाथ और मां नर्मदा के पवित्र स्थल ओंकारेश्वर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव का प्रताप सबसे अलग है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का ओंकारेश्वर प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके स्मरण से ही 12 ज्योतिर्लिंग को जपने या दर्शन करने का पुण्य मिल जाता है। मां नर्मदा के किनारे ओमकारेश्वर और ममलेश्वर स्थापित हैं। यह संयोग पूरी पृथ्वी पर अलग ही महत्व रखता है।
43 डिग्री में भी इतनी भीड़
ओंकारेश्वर में लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 43 डिग्री तापमान में भी कथा स्थल पर लोग अनुशासनपूर्वक पूरी दोपहर कथा सुनते रहे। पंडित मिश्रा ने लोगों की पीड़ा से मुक्ति और भगवान शिव में विश्वास वाली चिट्टियां भी पढ़ीं।
बेलपत्र के पौधे रोपें
उन्होंने इस कथा को वैज्ञानिक आधार से जोड़ते हुए कहा कि बेलपत्र 51 पौधे हर व्यक्ति को अपने जीवन में रोपना चाहिए। इसमें ज्यादा ऑक्सीजन होती है। बेलपत्र में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को भी शुद्ध बनाते हैं। इनका सेवन करने से कई बीमारियां दूर भागती हैं।
इसलिए एक लोटा जल
आयोजन के पहले दिन उन्होंने रोचक ढंग से शिव पुराण कथा का आरंभ किया। भूमिका भी उन्होंने वैज्ञानिक आधारों को केंद्र बनाकर रखीं। उन्होंने साफ कहा कि जल और भगवान शिव का संबंध पुराना है। मां नर्मदा के किनारे ओंकारेश्वर स्थापित हैं। यहां रहने वाले लोग पुण्यशाली हैं। पिछले जन्मों के फल के कारण ही वे यहां या आसपास बस गए हैं।
घर बैठे भी लाखों सुन रहे कथा
आयोजन बहुत व्यवस्थित तरीके से किया गया है। आस्था चैनल पर भी सीधा प्रसारण हो रहा है। कई श्रद्धालुओं ने लिंक जोड़कर इसे और प्रभावी बना दिया है। मतलब लाखों लोग अपने घरों में भी कथा सुन रहे हैं। कथा ओंकारेश्वर के थापना गांव में हो रही है। 25 एकड़ में पंडाल और अन्य इंतजाम किए गए हैं।
भारी भीड़ में भी सब व्यवस्थित
दूसरे दिन सोमवार को भी कथा दोपहर एक से चार बजे तक होगी। श्रद्धालुओं के भोजन और रहने की व्यवस्था भी की गई है।
पेड़ों के नीचे बैठकर कथा श्रवण की
पांडाल में जगह नहीं मिलने पर हजारों भक्तों ने सड़कों के किनारे पेड़ों के नीचे बैठकर कथा का श्रवण की। हजारों श्रद्धालुओं ने पंडितजी की धीर-गंभीर और मधुर वाणी से कही जा रही शिव कथा को पूरे मनोयोग से श्रवण किया। पंडितजी ने वेद, पुराणों और शास्त्रों के गूढ़ार्थों सरल शब्दों में व्यक्त किया। पंडितजी ने कथा के आयोजन में प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के नागरिकों के सहयोग की भूरी भूरी प्रशंसा की।
बाहर से आने वाले शिव भक्तों की सेवा
कथा श्रवण के लिए आने वाले शिव भक्तों की सेवा के लिए स्थानीय नागरिकों द्वारा जगह-जगह ठंडे पानी की व्यवस्था की गई है। कथा स्थल पर भोजन प्रसादी के पंडाल भी लगाए गए हैं। पंडितजी ने कथा स्थल के आसपास के निवासियों से बाहर से आने वाले भक्तों की सेवा करने का आव्हान किया और कहा कि शिव भक्तों को पानी पिलाना और उनकी मदद करना भी बड़े पुण्य का कार्य है।
भजनों पर झूमे भक्त
कथा के दौरान पंडितजी के द्वारा गाए जाने वाले सुमधुर भजनों पर शिवभक्त भावविभोर होकर नृत्य करते देखे गए। कथा के बीच में भगवान शिव के गगनभेदी जयकारों से संपूर्ण पांडाल गूंज उठता था। संपूर्ण कथा स्थल और पांडाल में उपस्थित शिवभक्त भगवान शिव की भक्ति में सराबोर दिखाई दिए।
मूलभूत सुविधाओं की कमी
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी देखी गई। नेताओं द्वारा बड़े-बड़े बैनर पोस्टर स्वागत के लिए लगा दिए गए हैं किंतु उस अनुपात में श्रद्धालुओं हेतु मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। कथा स्थल से 6 किलोमीटर दूर पार्किंग व्यवस्था की गई है किंतु यहां पर प्रकाश, पानी की व्यवस्थाएं नहीं की गई है।
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