अनोखा तीर राधेश्याम सिन्हा, बैतूल:- किसी इंसान के लिए घने जंगल हों और शेर सामने आ जाए तो उनकी क्या स्थिति हो सकती है? जिसकी महज एक कल्पना मात्र से ही कपकपी छूट जाती है। लेकिन ऐसा हकीकत में फौज की नौकरी के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर बॉर्डर में ड्यूटी कर रहे प्रमोद पाटील के साथ यह घटना घटित हुई है। श्री पाटील अब पुलिस इंस्पेक्टर हैं और वर्तमान में आमला जीआरपी की कमान संभाल रहे हैं। गौरतलब है कि यह घटना भले ही दशकों पुरानी है लेकिन जब भी इंस्पेक्टर श्री पाटील इसे याद करते हैं या उसे सुनाते हैं तो वे खुद सिहर उठते हैं। वहीं सुनने वाले भी रोमांचित हो जाते हैं। जानकारी के मुताबिक बैतूल जिले की आमला जीआरपी थाना प्रभारी प्रमोद पाटील लगभग 10 साल पहले फौज की नौकरी में थे। तब उनकी ड्यूटी भारत- पाकिस्तान के बीच कश्मीर बॉर्डर में थी। इस दौरान वे अपनी टुकड़ी के साथ घने जंगल में ड्यूटी कर रहे थे। इस बीच पत्तों की सरसराहट की आवाज आई तो तुरंत अपने बंदूक संभाली और संभावित दुश्मन होने की अंदेशा से अलर्ट हो गए। लेकिन सामने जिसे वह दुश्मन समझ रहे थे वे दुश्मन नहीं बल्कि जंगल का राजा कहे जाने वाले खतरनाक शेर सामने आ गया था। बमुश्किल से 5 फीट की दूरी पर खड़े शेर की निगाहें इनके ऊपर और इनकी निगाहे शेर के आंखों पर टिक गईं। इंस्पेक्टर पाटील बताते हैं कि इस दौरान कुछ क्षण के लिए ऐसा लगा कि शेर इनके ऊपर झपट्टा मारने वाला है। लेकिन ये भी जांबाज फौजी थे किशेर कुछ स्टेप उठते कि उसके पहले इन्होंने अपनी बंदूक शेर पर तान दी और कुछ इस तरह ऊंची आवाज दी कि शेर को डरना पड़ा और शेर को पीछे भगाने में सफल हो गए। फिर क्या था कि पलक झपकते ही शेर पीछे मुड़ गया और देखते ही देखते जंगल में ओझल हो गया। तब जाकर श्री पाटील ने राहत की सांस ली। लेकिन शेर से सामना होने का यह घटना रोमांचित कर देने वाला दास्तान बनकर रह गया है। लगभग 17 वर्ष फौज की नौकरी करने के बाद वर्ष 2016 में पुलिस इंस्पेक्टर बन गए तब से वे पुलिस की नौकरी कर रहे हैं। अभी तक उज्जैन, बिरलाग्राम नागदा में थाना प्रभारी रहने के बाद, जीआरपी इटारसी, भोपाल, ग्वालियर, विदिशा मे सेवाएं दे चुके हैं। यहां यह बता दें कि श्री पाटील इस समय पुलिस परेड ग्राउंड के मॉर्निंग वॉक ग्रुप के खास सदस्य हैं और वर्तमान में जीआरपी आमला थाना प्रभारी हैं।
आतंकियों से ले चुके लोहा
श्री पाटिल का फौज में 17 साल का लंबा समय बीता है। जिसमें उन्होंने कश्मीर बॉर्डर, राजस्थान बॉर्डर, हरियाणा बॉर्डर, पंजाब और जैसलमेर बार्डर जैसे आदि स्थानों में ड्यूटी किए हैं। जिसमें कई अवसर ऐसा भी आया है कि उन्हें आतंकवादियों से लोहा लेना पड़ा है जिसमें उन्हें गोलीबारी भी करना पड़ी है। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में भी वे शामिल थे। इसी तरह संसद हमले के दौरान उन्हें जैसलमेर बॉर्डर पर तैनात किया गया था।
• उज्जैन और बिरलाग्राम में रही पुलसिया धमक-
वर्ष 2016 में श्री पाटिल का पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में देवों को नगरी उज्जैन के महाकाल थाना में पहली पदस्थी हुई। जहां वे लगभग 3 साल रहे। इसी जिले के नागदा तहसील अंतर्गत बिरलाग्राम में भी थाना प्रभारी रहे। श्री पाटिल ने थानेदार रहते हुए कई अंधे कत्ल और मर्डर केस को ट्रेस करने में सफलता हासिल की है। यानी यह कहा जाए कि इन थानों में श्री पाटील का आज भी पुलिसिया धमक कायम है।
जीआरपी थाने में दबदबा, गांजा तस्करों पर नकेल–
मध्य प्रदेश के जीआरपी थाना इटारसी, भोपाल, ग्वालियर, विदिशा आदि के बाद वर्तमान में बैतूल जिले की आमला में
सेवाभावी है पाटील दम्पति
सेवाभावी है पाटील दम्पति
खाकी वर्दीधारियों की मिजाज कड़क लगता है लेकिन इंस्पेक्टर प्रमोद पाटील नियम कानून को लेकर भले ही सख्त हैं, लेकिन अंदर से वे नरम दिल के हैं। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में सेवा दे रही उनकी धर्मपत्नी की सेवाभावी जज्बा भी तारीफे काबिल है। जानकारी मिली है कि पाटील दम्पति ने कोरोना काल के दौरान अपनी जान की परवाह नहीं की और लोगों की खूब सेवा की है। उस दौर में जब पीड़ितों को उनके परिजन भी साथ देना छोड़ दिए थे।
जीआरपी का कमान संभाल रहे हैं। जहां उन्होंने गांजा तस्करोंपर नकेल कसने का काम कर दिखाया है। इसी तरह अवैधतरीके से सप्लाई कर रहे सोना-चांदी और नगद राशि की जब्ती की कार्रवाई इनके द्वारा की गई है।
हालांकि इसके पूर्व पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ग्वालियर जीआरपी थाना अंतर्गत एक करोड़ का सोना जप्ती की कार्रवाई करने की बड़ी उपलब्धि श्री पाटील के खाते में दर्ज
है।