यह बात गलत है  

आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर के मध्य स्थित व्यवसायिक इलाका है। जहां ट्रेक्टर-ट्राली समेत अन्य बड़े वाहनों की एन्ट्री से सारी व्यवस्था बेपटरी हो जाती है। पल-पल पर जहां वाहनों का जाम तथा प्रेशरहार्न की गूंज सुनाई देती है, जो कि ध्वनि प्रदूषण की मुख्य वजह के समान है। बावजूद इस तरह के आवागमन पर कोई सख्ती नही है। जिसके चलते व्यवस्था वही पुराने ढ़र्रे पर दौड़ रही है। जबकि जागरूक युवाओं की मानें तो शहर में सुगम यातायात की दृष्टि से पूरा खाका तैयार किया जाना चाहिये। जिसमें व्यस्ततम मार्गो अन्य मार्ग को चिन्हित कर वहां की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने की जरूरत है, ताकि शादी-ब्याह एवं प्रमुख त्यौहार के साथ ही अन्य विशेष अवसरों पर जुटने वाली भीड़ दौरान व्यवस्था कम ना पड़े। वहीं ट्राफिक डायवर्ट करने का कार्य सरल हो सके। लेकिन, बदलते समय के बीच इस दिशा में कोई खास बदलाव नगण्य है। यही कारण है कि सालों बाद भी वही तंग सड़कों को देखकर बोल ही पड़ते हैं, कि यह बात गलत है।

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