श्री महाकाल महालोक में एफआरपी की मूर्तियां हटाकर स्थापित की जाएंगी पत्थर की नई मूर्तियां

अनोखा तीर उज्जैन:-ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र श्री महाकाल महालोक में फाइबर-रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी) की स्थापित मूर्तियां हटाकर कुछ महीने बाद लाल पत्थर की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। पहले चरण में सप्त ऋषियों की सात और भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति बनेगी। हरिफाटक पुल के नीचे संभागीय हाट बाजार में सोमवार को लगी महादेव शिल्पकला कार्यशाला में इसका निर्माण शुरू हुआ।

मूर्ति निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के रूपवास क्षेत्र में स्थित बंसी पहाड़पुर का लाल पत्थर ट्रक से लाया गया है। मूर्ति का निर्माण कोणार्क (ओडिसा) के 10 कलाकार मुरली महाराणा, ईश्वरचन्द्र महाराणा, जितेन्द्र स्वाई, मुन्ना बेहरा, गंगा पालुआ, शिबुना कांडी, कुंडरीदास, कार्तिक दास, पूर्णचन्द्र कांडी, प्रशान्त कांडी करेंगे। वे स्थानीय कलाकारों को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण भी देंगे।

महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी और त्रिवेणी कला संग्रहालय से जुड़े अशोक मिश्रा ने कहा है कि कार्यशाला लंबे समय तक प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 6 बजे तक जारी रहेगी। आने वाले समय में महाकाल की नगरी उज्जैन, मूर्तिकला का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा।

इसकी नींव रखने को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ ने दुनियाभर के मूर्ति शिल्पकारों को आमंत्रण भेजा था। आग्रहपूर्वक कहा था कि ‘उज्जैन आइए, मूर्ति बनाइए और मानदेय पाइए’। आपकी बनाई मूर्ति को वक्त आने पर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र महाकाल महालोक, वीर भारत संग्रहालय सहित भिन्न पर्यटन स्थलों पर स्थापित किया जाएगा। आपकी कला से स्थानीय कलाकारों को नया सीखने को मिलेगा। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।’
वैसे ये कार्यशाला कायदे से 7 मार्च को शुरू होना थी मगर विशेष कारणों से अब जाकर शुरू हो पाई है। शिल्पकारों को मूर्ति बनाने में उपयोगी सामग्री शोधपीठ ने उपलब्ध कराई है। मूर्ति बनाने के एवज में उन्हें मानदेय भी दिया जाएगा। सप्त ऋषि की प्रत्येक मूर्ति 15 फीट ऊंची, 10 फीट चौड़ी और साढ़े चार फीट मोटी बनेगी।
यह भी जानिये
श्री महाकाल महालोक में एफआरपी से बनी 100 से अधिक देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। निश्चित तौर पर कुछ साल बाद इन्हें बदलने की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में कार्यशाला में बनी मूर्तियों को आसानी से यहां प्रतिस्थापित किया जा सकेगा। 136 वर्ष पुराने कोठी महल में 1 मार्च को वीर भारत संग्रहालय का शिलान्यास किया गया है। ये संग्रहालय, देश के कालजयी महानायकों की तेजस्विता को प्रतिबिंबित करेगा। यहां देश के तेजस्वी नायकों और सत्पुरुषों की प्रेरक कथाओं, संदेशों, चरित्रों का चित्रांकन, उत्कीर्णन, शिल्पांकन, ध्वन्यांकन पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों से होगा। ऐसे में ऐसे तेजस्वी नायकों की बनाई मूर्तियां भी संग्रहालय का हिस्सा बन सकेंगी।

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