इंदौर

लोकसभा चुनाव 2024:इंदौर की गेर में शामिल होकर गैरों को अपना बनाने का संदेश दे गए मुख्यमंत्री मोहन यादव

कैलाश विजयवर्गीय और गौड़ एक मंच पर नजर आए। मुख्यमंत्री की इंदौर यात्रा ने कांग्रेस नेताओं की नींद जरूर उड़ा दी है।

अनोखा तीर इंदौर:-मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव शनिवार को इंदौर की रंगारंग परंपरा गेर में शामिल होकर इंदौर के साथ मालवा-निमाड़ की आधा दर्जन से ज्यादा लोकसभा सीटों पर गैरों को अपना बनाने का संदेश दे गए। वे करीब दो घंटे इंदौर में रहे। इस दौरान उन्होंने सभी नेताओं से जमकर मुलाकात की। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को वे पूर्व में भी अपना अग्रज बता चुके हैं। यही भाव शनिवार को गेर में भी देखने को मिला। यादव कमलेश खंडेलवाल की गेर में भी शामिल हुए और हिंद रक्षक की फाग यात्रा में भी। आमजन को लग रहा था कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी के चलते सुरक्षा व्यवस्था उनके रंग में भंग डालेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मुख्यमंत्री की मौजूदगी के बावजूद आम इंदौरी ने जमकर रंगारंग गेर का लुत्फ उठाया।

मुख्यमंत्री के रंगपंचमी के दिन इंदौर में होने के कई मायने निकाले जा रहे थे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि वे कुछ ही मिनट इंदौर में ठहरेंगे और फिर यहां से उज्जैन रवाना हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री दो घंटे से ज्यादा समय तक इंदौरी बनकर गेर में शामिल रहे। चुनावी मौसम में राजनीति से दूर रहकर उन्होंने इंदौरियों का अभिवादन स्वीकारा और यह बताने की कोशिश की कि इंदौर और उज्जैन के बीच बहुत ज्यादा दूरी नहीं है। हालांकि इसके पहले भी वे कई मंचों पर यह बात कह चुके हैं।
भगोरिया मेलों में भी शामिल हुए थे
इंदौर की गेर में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री आदिवासी क्षेत्रों में होने वाले भगोरिया मेलों में भी शामिल हो चुके हैं। वे वहां भी उसी अंदाज में दिखे जिस अंदाज में शनिवार को इंदौर में थे। मुख्यमंत्री का यह अंदाज लोगों को पसंद भी आ रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में मुख्यमंत्री का भगोरिया में शामिल होना नई बात नहीं है।
डा. मोहन यादव से पहले भी कई मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री इन मेलों में शामिल होते रहे हैं, लेकिन रंगपंचमी की गेर में किसी मुख्यमंत्री के शामिल होने का यह पहला अवसर था। आचार संहिता के चलते मुख्यमंत्री ने किसी भी मंच से पार्टी के पक्ष में मतदान की अपील नहीं की, लेकिन आंखों की आंखों में इशारा जरूर कर गए। अब इस इशारे को जनता कितना समझती है और मानती है, यह तो 4 जून को आने वाले परिणाम के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री की इंदौर यात्रा ने कांग्रेस नेताओं की नींद जरूर उड़ा दी है। मुख्यमंत्री की यात्रा कांग्रेस के लिए दुबले पर दो आसाढ़ वाली कहावत को चरितार्थ करती नजर आ रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker