अनोखा तीर, हरदा। शरीर में लकवा मार गया था। परिवार ने पहले स्थानीय चिकित्सकों को दिखाया। उन्होंने इंदौर या भोपाल का मशवरा दिया तो इंदौर उपचार कराने ले गए। लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। अब मुंबई ले जाने की तैयारी थी। तभी परिचित वकील साहब ने मशवरा दिया कि मुंबई जाने से पहले एक बार हरदा में आए हुए एक्यूप्रेशर मैग्नेट चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वाले डॉ. एसके गर्ग को दिखा लो। कोई दवा गोली, इंजेक्शन आदि से उपचार नहीं होगा। कहते है मरता क्या न करता और उन्होंने वकील साहब के कहे अनुसार दोनों बेटे अपने पिता को लेकर डॉ. गर्ग के पास पहुंच गए। चूंकि वह अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते थे इसलिए दोनों बेटों ने कंधे का सहारा देकर बमुश्किल डॉक्टर के रुम तक उन्हें लेकर गए। जिस आशा और विश्वास के साथ वहां पहुंचे थे वह पल भर में ही पूरी होते बाप बेटों के चेहरों पर खुशी की चमक आ गई। जो पिता अपने बेटों के कंधों के सहारे डॉक्टर के पास गए थे वह अपने ही पैरों पर न केवल खड़े हुए बल्कि चलकर वापस लौटे थे। परिवार की खुशी का ठिकाना न था। यह कोई काल्पनिक कथा या फिल्मी कहानी नहीं है बल्कि हरदा के ही सिंधी कॉलोनी निवासी ६० वर्षीय परमानंद पाहूजा के उपचार लाभ की हकीकत है। उनके बेटे रवि पाहूजा ने बताया कि पापा को लकवा हो गया था। हम बाम्बे ले जा रहे थे तभी अधिवक्ता प्रकाश टांक ने हमें मशवरा दिया कि एक बार हम दिल्ली से आए डॉक्टर एसके गर्ग को दिखाए। भाईसाहब जिस उम्मीद से हम आए थे उससे कहीं ज्यादा लाभ बल्कि ये कहे चमत्कार देखने को मिला। कुछ समय डॉक्टर साहब ने हाथ और पैर के कुछ जगह पर पाईंटों को दबाया, छोटे-छोटे मैग्नेट लगाकर पट्टी चिपका दी। उसके बाद उन्होंने पापा से कहा कि आप खड़े होकर देखिए। जिन्हें हम सहारा देकर खड़ा करते थे या वहां लेकर गए थे वह अपने ही बलबूते पर खड़े भी हुए और चलकर हमारे साथ घर भी वापस आए। पूरी तरह स्वस्थ्य हो और फिर कोई दिक्कत न हो इसलिए हम पिछले तीन दिनों से लगातार डॉक्टर साहब की थैरेपी ले रहे है। हमने तो कल्पना भी नहीं की थी कि बिना किसी दवा गोली, इंजेक्शन के ऐसे भी इतनी गंभीर समस्या का ईलाज होता होगा। दिल्ली के एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वाले डॉक्टर एसके गर्ग द्वारा मात्र शरीर के पाईंट दबाकर ऐसे-ऐसे रोगों का उपचार किया जा रहा है जिसे वर्षों के एलोपैथिक चिकित्सा उपचार से भी लाभ नहीं मिल पाया। ग्राम कमताड़ा के रामशंकर प्रजापति के पिता उन्हें जब डॉक्टर के पास लेकर आए थे तो आंखों से आंसू आ गए। चूंकि अपने बेटे का उपचार कराने के चक्कर में उनकी माली हालत खराब हो चुकी है। इंदौर, भोपाल जैसे कई जगह पर उन्होंने उपचार कराया। लेकिन बेटे का शरीर धुजना और अपने पैरों पर खड़े न हो पाने की समस्या का समाधान नहीं हुआ। जब उन्होंने अपनी पीड़ा डॉक्टर गर्ग को सुनाई तो डॉ. गर्ग ने कहा कि आप चिंता न करें ईश्वर कृपा से बच्चा ठीक होगा। और हुआ भी कुछ ऐसा ही कि पहले दिन की थैरेपी में ही उसका शरीर धुजना लगभग ५० प्रतिशत कम हो गया तथा जो कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था वह लकड़ी के सहारे ही लेकिन खुद चलने लगा। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दो-तीन दिन की थैरेपी में उन्हें लगभग ५० से ७० प्रतिशत लाभ प्राप्त हो जाएगा। कुछ इसी तरह ग्राम बीड के कमलेश शर्मा पिछले देढ़ वर्षों से कमर में पट्टा बांधे सारे कामकाज छोड़कर अधिकतर समय बिस्तर पर ही गुजार रहे थे। कमर और पैरों का दर्द से उनका जैसे चोली दामन का साथ हो गया था। परिचितों से जानकारी मिलने पर जब वह डॉक्टर गर्ग के पास पहुंचे तो पहले ही दिन कमर के पट्टे को बाय-बाय कर दिया और दर्द से छुटकारा पाकर चेहरा खिल उठा। जब वह दूसरे दिन थैरेपी कराने पहुंचे तो उन्होंने बताया कि आज लम्बे समय के बाद बगैर पट्टा बांधे और बिना दर्द के घूमा फिरा हूं। ऐसे अनेक पीड़ितों को हमने प्रत्यक्ष रुप से उपचार लाभ प्राप्त करते देखा है, जिन्होंने अपने लम्बे समय की बीमारी से निजात पाकर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हमें अपनी हकीकत की कहानी सुनाई है। ऐसी स्थिति में व्यवसायिक हित लाभों से हटकर इस उपचार पद्धति का उल्लेख और प्रकाशन नहीं करता मुझे अपने कर्त्तव्य के प्रति नाइंसाफी महसूस होती। चूंकि मैं स्वयं जिस पीड़ा से गुजरा हूं और डॉक्टर गर्ग के माध्यम से पूरी तरह स्वस्थ्य हो रहा हूं ऐसी स्थिति में इसका उल्लेख करना वैसे भी लाजमी है। आज की इस भागदौड़ वाली दिनचर्या और असंतुलित खानपान, प्रतिस्पर्धी माहौल के बीच काम और पारिवारिक दबावों के चलते हमारे शरीर की ऊर्जा का संतुलन डगमगा जाता है। पंचतत्वों से बने इस शरीर में ऊर्जा के अंसतुलित होने से कई प्रकार की व्याधियां हमें घेर लेती है। एक्यूप्रेशर पद्धति से इलाज दौरान ऐसे क्यू बिंदुओं पर दबाव देकर इसी ऊर्जा में स्पंदन करके रोग दूर किया जाता है। जिसके चलते हमें उन बीमारियों का तो तत्काल लाभ अहसास होता है जिससे हम सीधे तौर पर प्रभावित है, लेकिन इस दौरान वह अदृश्य लाभ भी मिलता है जिसकी हमें फिलहाल जानकारी नहीं है, लेकिन वह कहीं न कहीं आने वाली बीमारी का सूत्रपात बन चुका है। एक्यूप्रेशर पद्धति से न केवल शरीर की व्याधियों का ही निदान सुनिश्चित नहीं होता बल्कि तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से भी हमें छुटकारा मिलता है। देश के अनेक महानगरों में अपनी इस उपचार पद्धति से पीड़ितों को लाभान्वित करने वाले एक्यूप्रेशर चिकित्सक एसके गर्ग अब हरदा में भी समय-समय पर अपनी सेवाएं प्रदान करने लगे है।
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