आदिवासी महिलाओं के नेतृत्व को मिल रहा संबल, भाजपा गढ़ रही नए समीकरण
आदिवासी बहुल राज्य मध्य प्रदेश हो या झारखंड, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी प्रवास पर जाते हैं, तो आदिवासी महिलाओं से संवाद अवश्य करते हैं।
अनोखा तीर भोपाल:-भाजपा को जीत का पर्याय बनाने के लिए जनाधार बढ़ाने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपना ही अंदाज है। जो वर्ग सियासत के लिए कमजोर माने गए, उन्हीं को मजबूत कर मोदी चुनावी बाजी पलटने में माहिर माने जाते हैं। ऐसा ही एक वर्ग इस लोकसभा चुनाव में उभर कर सामने आया है, जिसे तराश कर मोदी भाजपा को मजबूत कर रहे हैं।
दशकों तक उपेक्षित आदिवासी वर्ग की राजनीतिक पार्टियों द्वारा पूछ-परख तो बढ़ी, पर इस वर्ग की महिलाओं को अधिक मौका देकर भाजपा नए समीकरण गढ़ रही है। आदिवासी बहुल राज्य मध्य प्रदेश हो या झारखंड, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी प्रवास पर जाते हैं, तो आदिवासी महिलाओं से संवाद अवश्य करते हैं। उनकी जीवन शैली, संस्कृति, कला और परंपराओं से न केवल रूबरू होते हैं, बल्कि अपने अनुभव साझा कर उन्हें प्रभावित करने में भी सफल रहते हैं।
आदिवासी वर्ग के बीच ऐसा अनुभव कभी नहीं रहा, जब प्रधानमंत्री ने उनके गांवों तक पहुंच कर मुलाकात की हो। मध्य प्रदेश में विस चुनाव से पहले शहडोल आए प्रधानमंत्री मोदी ने गोंड- बैगा वर्ग की आदिवासी महिलाओं के साथ संवाद किया था। लोकसभा चुनाव से पहले झाबुआ आए थे तो विलुप्त हो रही विशिष्ट पिछड़ी जनजाति सहरिया महिलाओं से बातचीत की थी। तब मोदी की दूरदृष्टि का अंदाज किसी को नहीं था। आदिवासी वर्ग की महिलाओं को नेतृत्व के लिए प्रोत्साहित करने का यह तरीका कोई भांप नहीं सका था।
आदिवासी कोटे में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
लोकसभा चुनाव के टिकट बंटे तो लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था, क्योंकि मध्य प्रदेश की छह आदिवासी लोकसभा सीटों में से भाजपा ने तीन पर महिलाओं को टिकट दिया। यानी आदिवासी कोटे में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण। मामला यहीं तक नहीं है। एससी की तीन में से एक और अनारक्षित वर्ग में से भी दो ओबीसी महिलाओं को भी भाजपा ने टिकट दिया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो मध्य प्रदेश की कुल 29 लोस सीटों में से छह टिकट भाजपा ने महिलाओं को दिए
17वीं लोस में सर्वाधिक नेतृत्व
आजादी के बाद से पहली बार 17वीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 82 तक पहुंची थी। 2019 में हुए आम चुनाव में 78 महिलाएं जीतकर आईं थी, वहीं उपचुनाव में चार महिलाएं और जीतीं। इनमें 12 आदिवासी महिलाएं सांसद हैं। 18वीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 100 पार होने की संभावना है। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 लोकसभा सीटों में से 20 पर आजादी के बाद से अब तक आदिवासी महिला सांसद नहीं चुनी गईं।
झारखंड में भी बढ़ावा दे रही भाजपा
झारखंड में भाजपा ने एसटी कोटे के पांच में से तीन टिकट महिलाओं को दिए हैं। महिलाओं को विस-लोस में 33 प्रतिशत आरक्षण देने को नारी शक्ति वंदन अधिनियम बनाया है। इसके अमल में आने से पहले ही पार्टी ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया है।