अपने विचारों को पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण कार्य : राजेंद्र उपाध्याय

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अनोखा तीर, हरदा। सेवा के यज्ञ कुंड में आहुति देने वाले लोग विरले होते है, ऐसे लोग किसी न किसी माध्यम से समाज को नया आयाम देने का प्रयास करते है। जीवन के अनुभवों को शब्दों में पिरोकर उसे किताब का रूप देना महत्वपूर्ण कार्य है इससे समाज सीखता है। पुस्तके, समाज का दर्पण हैं। यह बात रविवार को नार्मदीय ब्राह्मण समाज धर्मशाला में समाजसेवी काशीनाथ उपाध्याय द्वारा स्व.श्रीमती निर्मलादेवी उपाध्याय की स्मृति में आयोजित जीवन पथ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक राजेंद्र उपाध्याय ने कही। उन्होंने कहा कि जो महानुभाव सेवा कार्य में लगे है उनका कार्य स्तुत्य है। इस दौरान साहित्यकार ज्ञानेश चौबे ने पुस्तक लेखन कार्य की प्रशंसा करते हुए डॉ नरेंद्र गार्गव के विचार भी रखे। समाजसेवी अशोक टेमले ने नेत्र दान सहित अन्य दान का महत्व बताया। पंडित गोपाल कृष्ण गीते ने आशीर्वचन दिया। समाजसेवी काशीनाथ उपाध्याय ने मां नर्मदा के उदगम स्थल के समीप सभी के सहयोग से समाज की धर्मशाला की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि सभी के साथ आने से, सहयोग से प्रतिमान गढ़े जाते है। कार्यक्रम के संयोजक मधुकर बिल्लौरे, अधिवक्ता रंजना भारद्वाज, नारायण एस पारे भोपाल, महेश शांडिल्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों ने अपने कर कमलों से पुस्तक जीवन पथ का विमोचन कर पुस्तक समाज को भेंट की। इस दौरान इंदौर, भोपाल, खंडवा, टिमरनी, रहटगांव, सिराली से पधारे समाजजनों का स्वागत किया गया। अतिथियों को मुख्य ट्रस्टी किशोर शुक्ला, वरिष्ठ ट्रस्टी शैलेंद्र जोशी, जवाहर पारे, अचला गुहा, नवनीत पाराशर, महिला इकाई अध्यक्ष अभिलाषा जोशी ने स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस दौरान समाजसेवी काशीनाथ उपाध्याय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक राजेंद्र उपाध्याय ने 21 हजार रुपए का चेक मुख्य ट्रस्टी किशोर शुक्ला, ट्रस्टी शैलेंद्र जोशी को समाज कल्याण के लिए अपने परिजनों की स्मृति में दिया। कार्यक्रम का संचालन अखिलेश पाराशर ने किया। अंत में आभार नवनीत पाराशर ने व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष उपस्थित थे।

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