अनोखा तीर, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार आनलाइन गेमिंग पर जीएसटी वसूलेगी। केंद्र सरकार इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगा चुकी है। प्रदेश में दो बार मध्य प्रदेश माल एवं सेवा कर अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश ला चुकी है। अब विधानसभा में मध्य प्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक पारित किया गया है। कांग्रेस के सदस्यों ने इसके विरोध में बहिर्गमन कर दिया और फिर संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।
उप मुख्यमंत्री वित्त जगदीश देवड़ा ने मध्य प्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि आनलाइन दांव लगाने, कैसिनो, द्यूतक्रीड़ा, घुड़दौड़, लाटरी या आनलाइन गेम्स खेलने का चलन बढ़ गया है। यह सामाजिक बुराई है। इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है और सरकार को टैक्स भी नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार ने इसे जीएसटी के दायरे में लाकर 28 प्रतिशत टैक्स लगाया है।
अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाए थे पर यह विधानसभा में प्रस्तुत नहीं हो सका। इसकी अवधि समाप्त होने पर 27 जनवरी 2024 को फिर अध्यादेश जारी किया गया और अब संशोधन विधेयक लाया गया है। भारत के बाहर से विभिन्न प्लेटफार्म पर आनलाइन गेम्स खिलाए जाते हैं तो पंजीयन अनिवार्य किया है। अलग से एंट्री लाई गई है और फिर उस पर टैक्स लगाया गया है।
एंट्री लाई गई है और फिर उस पर टैक्स लगाया गया है।
संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जिस तरह महादेप ऐप जैसा मामला हुआ, वैसा अब नहीं हो पाएगा। उधर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि क्या ये जुआं-सट्टा से सरकार चलाना चाहते हैं।
अभिजीत शाह ने कहा कि जुआं-सट्टे की लत के कारण कई युवा आत्महत्या तक कर लेते हैं। लोग तो रिश्वत भी लेते हैं तो क्या हम उसे भी वैधानिक कर सकते हैं। यह कदम समाज विरोधी है और हम इसका विरोध करते हैं। यह कहते हुए कांग्रेस ने बहिर्गमन कर दिया और फिर संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।